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लादेन की मौत का रहस्य: उसकी बीवियों का क्या हुआ? 14 साल बाद खुला चौंकाने वाला सच!

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2 मई 2011 की वो रात, जब अमेरिकी नेवी सील्स ने दुनिया के सबसे खूंखार आतंकी ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान के एबोटाबाद में मार गिराया। लेकिन उसकी मौत के बाद एक सवाल हर किसी के दिमाग में कौंधता रहा—लादेन की बीवियों और परिवार का क्या हुआ? अब, 14 साल बाद, इस रहस्य से पर्दा उठ गया है। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के करीबी सहयोगी फरहतुल्लाह बाबर ने अपनी किताब The Zardari Presidency: Now It Must Be Told में इस सनसनीखेज सच को उजागर किया है।

पाकिस्तान की हिरासत में लादेन की बीवियाँ

फरहतुल्लाह बाबर की किताब के मुताबिक, जैसे ही ओसामा बिन लादेन को अमेरिकी सेना ने ढेर किया, पाकिस्तान ने उसकी बीवियों को तुरंत हिरासत में ले लिया। लेकिन चौंकाने वाली बात ये थी कि कुछ ही दिनों बाद सीआईए (CIA) की एक टीम एबोटाबाद कैंटोनमेंट पहुंची और लादेन की बीवियों से पूछताछ शुरू कर दी। ये घटना पाकिस्तान के लिए बेहद शर्मिंदगी का सबब बनी। बाबर ने अपनी किताब में लिखा है कि अमेरिकी एजेंटों को पाकिस्तान में खुली छूट मिल गई थी, जिसने देश की संप्रभुता पर गंभीर सवाल खड़े किए। उस वक्त पाकिस्तान का नेतृत्व दबाव में झुका हुआ नजर आया, जिसे लेकर बाबर ने इसे राष्ट्रीय अपमान करार दिया।

अमेरिका का दबदबा और पाकिस्तान की मजबूरी

किताब में आगे खुलासा हुआ है कि लादेन के ठिकाने पर अमेरिकी हमले के बाद तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और सीनेटर जॉन कैरी इस्लामाबाद पहुंचे। पाकिस्तान ने अमेरिका से मांग की थी कि भविष्य में इस तरह के एकतरफा सैन्य ऑपरेशन न किए जाएं। लेकिन अमेरिका ने इस मांग पर कोई ठोस जवाब नहीं दिया। बाबर की किताब से साफ है कि उस वक्त पाकिस्तान की स्थिति कमजोर थी और वह अमेरिकी दबाव के सामने कुछ खास कर नहीं पाया।

सीआईए को थी लादेन की हर जानकारी

सबसे बड़ा खुलासा ये है कि सीआईए को न सिर्फ ओसामा बिन लादेन के एबोटाबाद में छिपे होने की पूरी जानकारी थी, बल्कि उस ठेकेदार का नाम भी पता था जिसने लादेन का वो आलीशान ठिकाना बनवाया था। बाबर की किताब एक बार फिर इस बात को साबित करती है कि पाकिस्तान ने पैसे के लिए अपनी जमीन पर लादेन को पनाह दी। हालांकि, पाकिस्तान हमेशा से इस बात से इनकार करता रहा कि उसे लादेन के ठिकाने की कोई खबर थी। लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय में इस दावे पर भरोसा करने वाले देश गिनती के ही हैं।

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