Urine Infection : कई बार ऑफिस में काम का दबाव इतना बढ़ जाता है कि हमें पेशाब जाने का समय ही नहीं मिलता। कभी मीटिंग में फंसे रहते हैं, तो कभी किसी जरूरी कॉल पर।
नतीजा ये होता है कि हम बार-बार यूरिन आने के बावजूद उसे रोक लेते हैं। पहली नज़र में यह बात मामूली लग सकती है, लेकिन क्या आप जानते हैं — बार-बार पेशाब रोकना आपकी सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक हो सकता है?
आइए जानते हैं कि लंबे समय तक पेशाब रोकने से शरीर पर क्या-क्या असर पड़ता है।
ब्लैडर पर पड़ता है ज़्यादा दबाव
जब हम पेशाब को लंबे समय तक रोकते हैं, तो मूत्राशय (ब्लैडर) में यूरिन लगातार जमा होता रहता है।
इससे ब्लैडर की दीवारों पर ज़्यादा दबाव पड़ता है और जब आप आखिरकार पेशाब करते हैं, तो ब्लैडर पूरी तरह खाली नहीं हो पाता। थोड़ी मात्रा में यूरिन वहीं रह जाती है — और यही शुरुआत होती है कई समस्याओं की।
दर्द और डिसकंफर्ट का एहसास
लगातार पेशाब रोकने की वजह से ब्लैडर और किडनी में असहजता बढ़ने लगती है। यूरिन पास करते वक्त जलन या हल्का दर्द महसूस हो सकता है।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पेशाब रोकने से मसल्स पर खिंचाव बना रहता है। धीरे-धीरे ये खिंचाव पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों में दर्द और क्रैम्प्स में बदल सकता है।
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) का बढ़ता खतरा
जब यूरिन ब्लैडर में लंबे समय तक रुका रहता है, तो उसमें बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। भले ही आप बाद में पेशाब कर लें, लेकिन कुछ मात्रा अंदर रह जाती है — और वही बैक्टीरिया के बढ़ने के लिए अनुकूल माहौल बना देती है।
यही वजह है कि यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) होने का खतरा बढ़ जाता है।
ब्लैडर की मसल्स हो सकती हैं कमजोर
लगातार पेशाब रोकने की आदत से ब्लैडर की मांसपेशियाँ अपनी लोच खो देती हैं। वे ज़्यादा खिंच जाने की वजह से धीरे-धीरे कमजोर पड़ जाती हैं।
परिणामस्वरूप, आपको यूरिन रोकने में मुश्किल होती है और कई बार यूरिन लीकेज (पेशाब टपकने) की समस्या भी शुरू हो जाती है।
स्टोन बनने का खतरा
यूरिन में कुछ मिनरल्स जैसे यूरिक एसिड और कैल्शियम ऑक्सेलेट मौजूद होते हैं। जब पेशाब लंबे समय तक ब्लैडर में जमा रहता है, तो ये मिनरल्स धीरे-धीरे क्रिस्टल्स में बदलने लगते हैं — जो आगे चलकर ब्लैडर या किडनी स्टोन का रूप ले सकते हैं।
यदि कोई व्यक्ति लगातार पेशाब रोकने की आदत डाल लेता है, तो धीरे-धीरे ब्लैडर की मसल्स सुन्न पड़ने लगती हैं। ऐसे में शरीर को यह अहसास ही नहीं होता कि यूरिन पास करने का समय आ गया है।
यही कारण है कि कुछ लोगों को यूरिन का “urge” महसूस ही नहीं होता। हर 2-3 घंटे में वॉशरूम ज़रूर जाएं, चाहे यूरिन कम भी आए। पानी खूब पिएं ताकि शरीर से टॉक्सिन्स निकलते रहें।
कैफीन या अल्कोहल जैसी चीज़ों का सेवन सीमित करें, क्योंकि ये ब्लैडर को इरिटेट कर सकती हैं। अगर पेशाब करते समय दर्द, जलन या रुक-रुक कर पेशाब आने की समस्या है, तो डॉक्टर से सलाह लें।
थोड़ी-सी लापरवाही बाद में बड़ी परेशानी का कारण बन सकती है। इसलिए अगर आप भी काम के बीच “थोड़ी देर बाद चले जाएंगे” सोचकर पेशाब रोक लेते हैं, तो इस आदत को तुरंत बदलें। सेहत से बड़ा कोई काम नहीं होता — है ना?
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