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बटन दबाते ही 30 लाख किसानों के खाते में धड़ाधड़ आए 3200 करोड़ रुपये, देखिए कैसे मिला ये बड़ा तोहफा!

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PM Fasal Bina Yojana: पीएम किसान योजना की 2000 रुपये वाली किस्त के बाद आज किसानों को एक और शानदार सरप्राइज मिला है. कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फसल बीमा योजना की क्लेम रकम को सीधे ट्रांसफर कर दिया.

आज पूरे 30 लाख किसानों को फसल बीमा योजना के तहत 3200 करोड़ रुपये की बीमा क्लेम राशि डिजिटल तरीके से उनके बैंक अकाउंट में डाल दी गई. ये रकम मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ समेत दूसरे राज्यों के किसानों को मिली है. ये वो किसान हैं जिनकी फसलें प्राकृतिक आपदाओं से बर्बाद हो गई थीं, और अब ये पैसा उनकी जिंदगी में नई उम्मीद लेकर आया है.

किसानों के खाते में ट्रांसफर हुई रकम

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत आज कुल 3200 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए. इस मौके पर कई राज्यों के लाखों किसान वर्चुअल तरीके से कार्यक्रम में जुड़े. भुगतान के हिसाब से देखें तो मध्य प्रदेश के किसानों को 1156 करोड़ रुपये, राजस्थान के किसानों को 1121 करोड़ रुपये, छत्तीसगढ़ के किसानों को 150 करोड़ रुपये और बाकी राज्यों के किसानों को 773 करोड़ रुपये का क्लेम मिला. ये पहली बार है जब इतनी बड़ी रकम एक ही दिन में डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर से किसानों तक पहुंची, और ये सब कुछ पारदर्शी तरीके से हुआ.

क्यों जरूरी है फसल बीमा योजना

ये रकम उन किसानों को मिली है जो प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित हुए थे. इससे उनकी आर्थिक हालत मजबूत होगी और खेती की अनिश्चितताओं से लड़ने का हौसला बढ़ेगा. प्राकृतिक आपदा में फसल नष्ट होने से सिर्फ फसल ही नहीं बर्बाद होती, बल्कि किसान की पूरी जिंदगी प्रभावित हो जाती है. ऐसे में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.

कृषि मंत्री ने आगे बताया कि जनवरी से जून 2025 तक फसलों को हुए नुकसान के लिए 11,000 करोड़ रुपये के क्लेम मंजूर किए गए हैं. इनमें से बाकी 8,000 करोड़ रुपये की रकम जल्द ही किसानों के खातों में डाली जाएगी. उन्होंने भरोसा दिलाया कि जिन किसानों को अभी पैसा नहीं मिला, उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि उनका भुगतान भी वक्त पर होगा. शिवराज सिंह चौहान ने योजना की पारदर्शिता और तकनीक के इस्तेमाल पर जोर देते हुए कहा कि अगर बीमा कंपनियां तय समय में क्लेम नहीं देतीं, तो उन्हें 12 प्रतिशत ब्याज के साथ रकम जमा करनी होगी. इसी तरह, अगर राज्य सरकारें अपना हिस्सा समय पर नहीं देतीं, तो उन्हें भी 12 प्रतिशत ब्याज देना पड़ेगा, जो सीधे किसानों के खाते में जाएगा.

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