देश में सरकारी बैंकों के मर्जर की खबरें एक बार फिर सुर्खियों में हैं। Bank Merger 2.0 के तहत सरकार तेजी से काम कर रही है और इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से भी गहन चर्चा चल रही है। वित्त मंत्री ने साफ तौर पर कहा है कि अब देश को मजबूत, बड़े और भरोसेमंद सरकारी बैंकों की जरूरत है। लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि आने वाले समय में सरकारी बैंकों की संख्या सिर्फ 4 रह जाएगी?
वित्त मंत्री ने क्यों लिया इतना बड़ा फैसला?वित्त मंत्री ने हाल ही में मुंबई में 12वें SBI बैंकिंग एंड इकोनॉमिक्स कॉनक्लेव में इस मुद्दे पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा, “हम RBI के साथ इस बारे में गहन विचार-विमर्श कर रहे हैं कि बड़े और मजबूत बैंक कैसे बनाए जाएं। मेरे हां कहने से पहले कई चीजों पर काम करना बाकी है, लेकिन मैंने फैसला ले लिया है और इस दिशा में काम शुरू हो चुका है।” वित्त मंत्री का यह बयान साफ करता है कि सरकार इस बार बड़े स्तर पर बैंकों के मर्जर की योजना बना रही है।
बैंकों का मर्जर क्यों जरूरी?सरकारी बैंकों का मर्जर इसलिए जरूरी है ताकि बैंकिंग सिस्टम को और मजबूत, सुव्यवस्थित और आसान बनाया जा सके। मर्जर के बाद बैंकों की संख्या कम होगी, जिससे बैंकिंग प्रक्रियाएं अधिक सरल और प्रभावी होंगी। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि फाइनेंशियल सेक्टर में सुधार आएगा और बैंकों की लोन देने की क्षमता बढ़ेगी। छोटे और मध्यम आकार के सरकारी बैंकों को बड़े बैंकों में मिलाने से न सिर्फ बैंकिंग सिस्टम मजबूत होगा, बल्कि यह और स्ट्रक्चर्ड भी बनेगा।
Bank Merger 2.0 के तहत इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (CBI), बैंक ऑफ इंडिया (BOI) और बैंक ऑफ महाराष्ट्र (BOM) जैसे बैंकों को पंजाब नेशनल बैंक (PNB), बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB) और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) जैसे बड़े बैंकों में मिलाए जाने की संभावना है।
पहले भी हो चुके हैं बड़े मर्जरयह कोई पहला मौका नहीं है जब सरकार ने बैंकों के मर्जर का फैसला लिया हो। इससे पहले साल 2019 में Bank Merger 1.0 के तहत सरकार ने 4 PSU बैंकों के मर्जर का ऐलान किया था। उस दौरान यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स को पंजाब नेशनल बैंक में मिला दिया गया था। सिंडिकेट बैंक का विलय केनरा बैंक के साथ हुआ था। इलाहाबाद बैंक को इंडियन बैंक में शामिल किया गया था। इसके अलावा, आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के साथ मर्जर हुआ था। साथ ही देना बैंक और विजया बैंक को बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ मिला दिया गया था। इन मर्जर के बाद देश में सरकारी बैंकों की संख्या 2017 के 27 से घटकर अब सिर्फ 12 रह गई है।
क्या होगा भविष्य में?Bank Merger 2.0 की प्रक्रिया अगर तेजी से आगे बढ़ती है, तो आने वाले समय में सरकारी बैंकों की संख्या और कम हो सकती है। इससे न सिर्फ बैंकिंग सिस्टम में सुधार होगा, बल्कि ग्राहकों को भी बेहतर सेवाएं मिलने की उम्मीद है। हालांकि, इस प्रक्रिया में कई चुनौतियां भी हैं, जैसे कर्मचारियों का समायोजन और ग्राहकों की सुविधा का ध्यान रखना। लेकिन वित्त मंत्री के ताजा बयान से साफ है कि सरकार इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है।
You may also like

8 नवंबर 2025 मेष राशिफल: लेन-देन में सावधानी बरतें, हनुमान जी को सिंदूर और गुड़-चना अर्पित करें

तुर्की ने इजरायल के प्रधानमंत्री के खिलाफ जारी किया गिरफ्तारी वारंट, बेंजामिन नेतन्याहू को जेल में डालने की है एर्दोगन की हिम्मत?

10 मिनटˈ में कर दी 6 हत्याएं! कहानी उस शख्स की, जिसने भाभी के प्यार में कुल्हाड़ी से काट डाला पूरा परिवार﹒

फ्रांस, जापान को छोड़ दिया पीछे, इस क्षेत्र में बढ़ा भारत का दबदबा, बस अब करना होगा ये एक काम

शादी केˈ दो साल बाद पत्नी के मां बनने पर हैरान रह गया पति, कहा- सुहागरात नहीं मनाई, तो बच्चा कैसे﹒





