गुना, 25 मई . देवर्षि नारद संपूर्ण और आदर्श पत्रकारिता के संवाहक हैं. वह मात्र सूचनाओं को देने का ही कार्य ही नहीं, बल्कि सार्थक संवाद का सृजन करते थे . देवताओं और दानवों और मनुष्यों सब की भावनाएं जानने का उपक्रम किया करते थे. जिन भावनाओं से लोकमंगल होता हो ऐसी ही भावनाओं को जग जाहिर किया करते थे. यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग सामाजिक समरसता संयोजक पंडित तुलसीदास दुबे ने कही. दुबे रविवार को सरस्वती विद्या मंदिर में स्व. नाथूलाल मंत्री जनकल्याण न्यास द्वारा आयोजित देवर्षि नारद जयंती सप्ताह अंतर्गत आयोजित पत्रकार प्रबोधन को मुख्य वक्ता के रुप में संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती जी, भारतमाता और आदि पत्रकार देवर्षि नारद जी के सामूहिक पूजन से किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार दिनेश शर्मा ने की . इस दौरान विभाग कार्यवाह कदम सिंह मीणा भी मंचासीन रहे.
निष्पक्ष होकर करें पत्रकारिता
दुबे ने अपने उद्बोधन में कहा कि देवर्षि नारद किसी भी कीमत पर समाज को सच से रूबरू कराने से भी पीछे नहीं हटते थे . सच का साथ उन्होंने अपने आराध्य के विरुद्ध जाकर भी दिया. यही तो है सच्ची पत्रकारिता, निष्पक्ष पत्रकारिता किसी के दबाव ना आकर अपनी बात कहना . उन्होने कहा कि देवर्षि नारद के चरित्र का बारीकी से अध्ययन किया जाए तो ज्ञात होता है कि उनका प्रत्येक संवाद लोक कल्याण के लिए था . वह स्वयं के सुख और आनंद के लिए सूचनाओं का आदान-प्रदान नहीं करते थ. अंतिम व्यक्ति और उसकी आवाज को बुलंद करना ही पत्रकार और पत्रकारिता का धर्म होना चाहिए . आज पत्रकारिता के आसपास अविश्वास की धुंध गहराती जा रही है. दुबे के अनुसार आपकी लेखनी तब ही प्रभावी हो सकती है जब आप निष्पक्ष होकर पत्रकारिता करे, वहीं जब तक घटना की सत्यता और संपूर्ण सत्य प्राप्त न हो जाए . तब तक समाचार बहुत सावधानी से बनाया जाना चाहिए . कार्यक्रम का संचालन जिला प्रचार प्रमुख राघव सोनी ने तथा आभार खंड प्रचार प्रमुख अभिषेक अग्रवाल ने माना.
/ अभिषेक शर्मा
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