रांची, 25 मई . नौवीं वार्षिक ईस्टर्न हेमेटोलॉजी ग्रुप कांफ्रेंस का समापन रविवार को हुआ. होटल रेडिशन ब्लू में तीन दिन तक चले इस कॉन्फ्रेंस में 60 से ज्यादा राष्ट्रीय स्तर के हिमेटोलॉजी के प्रोफेसर शामिल हुए. कॉन्फ्रेंस के दौरान सिकल सेल एनीमिया पर भी परिचर्चा हुई. इसमें झारखंड के 120 चिकित्सक शामिल हुए. कार्यक्रम में डॉ (कोल) ज्योति कोतवाल (चेयरपर्सन सह प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ़ हेमेटोलॉजी, गंगाराम हॉस्पिटल दिल्ली ), डॉ बसब बागची (असिस्टेंट प्रोफेसर सह हेड) हेमेटो ऑकनोलॉजिस्ट, चितरंजन नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट, कोलकाता, डॉ अंकिता सेन, कंसलटेंट, चितरंजन नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट, कोलकाता,डॉ देवयेंदु डे ( हेमेटोलॉजिस्ट एवं हेमेटो ऑंकोलॉजिस्ट) बालको मेडिकल सेंटर,रायपुर, डॉ शैलेंद्र प्रसाद वर्मा (एडिशनल प्रोफेसर एवं क्लिनिकल हेमेटोलॉजी) केजीएमयू,लखनऊ , सिविल सर्जन रांची डॉ प्रभात कुमार, डॉ गणेश चौहान, रिम्स,डॉ रिशु विद्यार्थी, पटना, डॉ दामोदर दास, गुवाहाटी, डॉ रिजू रानी डेका, असाम सहित देश भर के अन्य चिकित्सक, हेमेटोलॉजिस्ट एवं इससे जुड़े स्वास्थ्य कर्मी ने रक्त विकार, ल्युकेमिया, जीन थेरेपी और लिम्फोमा जैसे विषय पर अपनी अपनी बातें रखी.
हेमेटोलॉजी के क्षेत्र में लोगों का हाउस ज्ञानवर्धन
डॉ (कोल) ज्योति कोतवाल (चेयरपर्सन सह प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ़ हेमेटोलॉजी, गंगाराम हॉस्पिटल दिल्ली ) ने नौवीं वार्षिक ईस्टर्न हेमेटोलॉजी ग्रुप कांफ्रेंस के सफल आयोजन के लिए डॉ अभिषेक रंजन सहित पूरी ऑर्गेनाइजिंग टीम को बधाई दी और कहा की इस आयोजन से हेमेटोलॉजी के क्षेत्र में लोगों का ज्ञानवर्धन होगा.
साथ ही वर्तमान में नई तकनीक के बारे में भी लोगों को पता चलेगा l झारखंड में सिकल सेल मिशन और थैलेसीमिया को लेकर काफी काम हो रहा है l जिला अस्पताल में सेल काउंट एवं एहिपीएलसी का मशीन भी लगाया गया है. इससे इसकी जांच में काफ़ी सुविधा मिली है.
उन्होंने कहा कि यहां एक रेफरल सेंटर भी बनाया गया है, जहां गर्भवती महिलाओं का सिकल सेल एनीमिया की जांच की जा सके. लेकिन झारखंड में सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया के मरीज काफी संख्या में हैं. इसकी जांच और इलाज के लिए एक और रेफेरल सेंटर बनाने की आवश्यकता है. ताकि, मरीजों का समय पूर्व डायग्नोसिस और सटीक इलाज किया जा सके.
यहां ब्लड कैंसर के भी मरीज हैं, जिनका सही समय पर डायग्नोसिस और स्क्रीनिंग करना जरूरी है. ताकि, अर्ली स्टेज में ही इसका पता चल सके.
लो ब्लड काउंट वाले मरीजों को पकड़ना जरूरी
उन्होंने कहा कि डॉक्टर को लो ब्लड काउंट ( लो ब्लड काउंट) और लो टीएलसी वाले मरीजों को पकड़ना बहुत जरूरी है. इसके लिए हम गांव-गांव में सहिया (आशा) और आंगनवाड़ी वर्कर के माध्यम से लोगों को जागरुक कर सकते हैं. साथ ही जिनका टीएलसी और ब्लड काउंट कम है उन्हें सहिया के जरिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लाया जा सकता है. ताकि, समय सही समय पर उनका स्क्रीन किया जा सके.
ब्लड कैंसर लाइलाज नहीं है यदि इसका अर्ली डायग्नोसिस और स्क्रीनिंग के माध्यम से पता चल जाता है तो केमोथेरेपी और उसके बाद स्टेम सेल या बोन मैरो ट्रांसप्लांट के माध्यम से मरीज ठीक हो सकते हैं.
ऐसे मरीज कई सालों तक जीवन जी सकते हैं. प्राइमरी हेल्थ और पब्लिक हेल्थ सेंटर में इसे लेकर अवेयरनेस बहुत जरूरी है. ताकि, इसका सही समय पर सटीक जांच और स्क्रीनिंग हो सके और इलाज की प्रक्रिया शुरू हो सके.
रक्त संबंधी बीमारी के मरीज पहुंचते हैं देर से : डॉ शैलेन्द्र
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के डॉ शैलेंद्र प्रसाद वर्मा ने बताया कि रक्त संबंधी बीमारी के मरीज काफी देर से पहुंचते हैं. वे ऐसी स्थिति में पहुंचते हैं जब हालत खराब हो जाती है. उन्होंने कहा कि कांफ्रेंस में एप्लास्टिक एनीमिया, ब्लड कैंसर, शरीर में खून की कमी, प्लेटलेट्स की कमी, बोन मैरो ट्रांसप्लांट, शरीर में बने गांठ की जांच और भ्रांतियां पर चर्चा हुई.
जीएचजी के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री डॉ अभिषेक रंजन ने कहा कि झारखंड में हिमेटोलॉजी विभाग देश की तुलना में काफी पीछे है. जब मरीज को बीमारी का पता चलता है तब तक देर हो जाती है. ब्लड कैंसर के मरीज भी जानकारी के अभाव में लास्ट स्टेज में पहुंचते हैं. लोगों को जागरूक करना हमारा उद्देश्य है.
डॉ अजय के महलका (जीएचजी के ऑर्गेनाइजिंग को-सेक्रेट्री) ने बताया की इस ज्ञानवर्धक सम्मलेन में सभी प्रोटोकॉल का पालन किया गया है और इस क्षेत्र में आयी नयी तकनीक पर चर्चा की गयी है जो आगे चलकर हेमटोलॉजी के क्षेत्र में काम आएगा. वहीं राज्य को एक जनटिक लैब की भी आवश्यकता है. ताकि, लोगों को जांच को सुविधा मिल सके. कार्यक्रम मे हेमोटलॉजी पर केस प्रेजेंन्ट करने वाले रेजिडेंस ( चिकित्सक) को सम्मानित भी किया गया.
वहीं सिविल सर्जन रांची डॉ प्रभात कुमार ने कहा कि कॉन्फ्रेंस से झारखंड के डॉक्टरो को फायदा मिला है. कार्यक्रम में पीजी के स्टूडेंट, एनजीओ के लोग भी शामिल हुए.
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/ Vinod Pathak
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