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हिसार : विकसित भारत संकल्प में गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय की रहेगी अग्रणी भूमिका : प्रो. टीजी सीथाराम

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गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय ने मनाया 31वां स्थापना दिवसकुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने की समारोह की अध्यक्षताउत्कृष्ट उपलब्धि हासिल करने वाले शिक्षकों व शोधार्थियों को किया सम्मानितहिसार, 28 अक्टूबर (Udaipur Kiran) . अखिल Indian तकनीकी शिक्षा परिषद् (एआईसीटीई) के चेयरमैन प्रो. टीजी सीथाराम ने कहा है कि वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प को पूरा करने की यात्रा में गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय हिसार (गुजविप्रौवि) की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी. महान संत एवं पर्यावरणविद् गुरु जम्भेश्वर जी महाराज के नाम पर स्थापित यह विश्वविद्यालय शोध व नवाचार के साथ-साथ नैतिक मूल्यों की स्थापना में भी योगदान दे रहा है. प्रो. टीजी सीथाराम मंगलवार को गुजविप्रौवि के 31वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य पर आयोजित समारोह को बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे. अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने की. एनबीपीजीआर-आईसीएआर, नई दिल्ली के पूर्व निदेशक प्रो. के.सी बंसल व एआईसीटीई के निदेशक कमलजीत सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे. विश्वविद्यालय की प्रथम महिला डा. वंदना बिश्नोई, कुलसचिव डा. विजय कुमार, डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. योगेश चाबा व आईक्यूएसी के निदेशक प्रो. कशमीरी लाल भी समारोह में विशेष रूप से उपस्थित रहे.प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने अपने संबोधन में कहा कि गुरु जम्भेश्वर जी महाराज के सिद्धांत मानव चेतना व प्रकृति संतुलन के बीच सेतु का कार्य कर रहे हैं. गुरु जी के सिद्धांतों को ही अपनाते हुए गुजविप्रौवि शैक्षणिक उत्कृष्टता के साथ-साथ सामाजिक उत्तरदायित्वों को पूरा करते हुए वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है. प्रो. केसी बंसल ने कहा कि विश्वविद्यालय के शिक्षक राष्ट्र निर्माण में मुख्य भूमिका निभा सकते हैं. शिक्षकों को ‘रिफॉर्म’, ‘परफॉर्म’ व ‘ट्रांसफॉर्म’ के मंत्रा को अपनाते हुए अपनी तकनीकों में रिफॉर्म करना है, पैसन के साथ परफॉर्म करना है तथा विद्यार्थियों को ट्रांसफॉर्म करना है. डा. विजय कुमार ने कहा कि गुरु जम्भेश्वर जी महाराज की शिक्षाओं और ऊर्जा का संचरण गुजविप्रौवि की ताकत है.

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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