Next Story
Newszop

जबलपुर : सिंधिया मेडिकल कालेज को हाईकोर्ट का आदेश, मूल दस्तावेज पावति सहित लौटाएँ

Send Push

जबलपुर, 22 अगस्त (Udaipur Kiran) । सिंधिया मेडिकल कॉलेज के छात्र डॉ. उमेश नागर ने हाईकोर्ट की शरण ली है। उनका कहना है कि उन्हें पीएचडी करने हेतु मूल दस्तावेज की आवश्यकता है, परन्तु संस्थान देने में आनाकानी कर रहा है। डॉ. नागर ने नीट पीजी 2024 के माध्यम से एमडी फिजियोलॉजी की सीट हासिल की थी, उन्हें इंग्लैंड की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी ऑफ लिवरपूल में पीएचडी करने का अवसर मिला है। पीएचडी कार्यक्रम एक अक्टूबर 2025 से शुरु होना है, लेकिन कॉलेज द्वारा मूल दस्तावेज और एनओसी नहीं दी जा रही ।

डॉ. नागर का कहना है कि वे अपने दस्तावेज और एनओसी सिर्फ सत्यापन के लिए चाहते हैं ताकि इंग्लैंड में पीएचडी के लिए वीज़ा और अन्य औपचारिकताएं पूरी की जा सकें। उन्होंने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि पी-एचडी की पढ़ाई (जिसकी अवधि 4 वर्ष है) पूरी होने के बाद वे भारत लौटकर एमडी की पढ़ाई जारी रखेंगे। इसके लिए वे हलफनामा देने को भी तैयार हैं। उनका कहना है कि अगर दस्तावेज समय पर नहीं मिले तो लिवरपूल विश्वविद्यालय में पी-एचडी का सुनहरा अवसर हाथ से निकल जाएगा।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आदित्य सांघी ने अदालत को बताया कि पूर्व में भी इसी तरह के कई मामलों में जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर खंडपीठों ने छात्रों को उनके दस्तावेज एनओसी के साथ लौटाने का अंतरिम आदेश दिया है। राजस्थान और बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी समान आदेश पारित किए हैं। ग्वालियर हाईकोर्ट में जस्टिस आनंद पाठक और जस्टिस पुष्पेंद्र यादव की डिविजनल बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए आदेश पारित किया कि याचिकाकर्ता हलफनामा देंगे । साथ ही पूरा मामला अंतिम निर्णय के अधीन रहेगा। यदि कोर्ट भविष्य में आदेश देती है, तो उसे बांड राशि (30 लाख रुपए) या दस्तावेज वापस करना होगा। फिलहाल शिवपुरी के सिंधिया मेडिकल कॉलेज को निर्देश दिया गया है कि 2 सितंबर 2025 से पहले डॉ. नागर को उनके सभी मूल दस्तावेज उचित पावती के साथ लौटा दिए जाएं। प्रतिवादी पक्ष को 10 दिन के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का भी समय दिया गया है। कोर्ट ने गत दिवस यह साफ किया गया कि यह आदेश केवल अंतरिम है और मामले की सुनवाई मेरिट के आधार पर होगी।

————

(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक

Loving Newspoint? Download the app now