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मप्र कांग्रेस अध्यक्ष जीतू ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र, कहा-प्रदेश में महिलाओं की स्थिति बहुत खराब, हस्तक्षेप करें

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भोपाल, 30 मई . प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 31 मई को प्रदेश में होने जा रहे दौरे के पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष जीतू पटवारी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने महिला सुरक्षा, स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़े कई मुद्दे उठाए हैं. उन्‍होंने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदीजी आप मप्र आ रहे हैं तो यहां की महिलाओं की अनसुनी बातों को सुनें. पटवारी का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी से अनुरोध है कि जंबूरी मैदान में भाषण देने से पहले महिलाओं से जुड़ी प्रदेश की इन असली समस्याओं पर गहराई से मंथन जरूर करें ! क्योंकि, केवल नारों से नहीं, नीतियों की ईमानदार समीक्षा और ज़मीनी क्रियान्वयन से ही महिला कल्याण संभव है!

पटवारी का इस पत्र के माध्‍यम से प्रदेश सरकार पर आरोप है कि मध्य प्रदेश की लाखों महिलाओं की सिसकियों को आज दबाया जा रहा है. वही आवाजें जो आज भी सुरक्षा, सम्मान, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए संघर्ष कर रही हैं. उन्‍होंने लिखा कि आपसे निवेदन है कि इन तथ्यों पर भी एक बार नजर जरूर डालें .एनसीआरबी की रिपोर्ट कहती है कि महिला अपराधों में मध्य प्रदेश देश में पहले स्थान पर है! अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं के विरुद्ध अत्याचारों में भी हमारा प्रदेश देश में शीर्ष पर है. बालिकाओं के साथ दुष्कर्म के मामलों में इंदौर, भोपाल, ग्वालियर जैसे शहर रेड जोन घोषित हो चुके हैं!

पटवारी ने प्रधानमंत्री को ध्‍यान दिलाया है कि विधानसभा चुनाव से पहले लाड़ली बहनों को ₹3000 प्रतिमाह देने का वादा किया गया था. लेकिन हकीकत यह है कि औसतन ₹1250 ही दिए जा रहे हैं, वह भी अनियमित तरीके से. कई पात्र महिलाएं तकनीकी कारणों से योजना से वंचित हैं, न कोई अपील की व्यवस्था, न सुनवाई का मंच. इसके साथ ही पटवारी का एक आरोप यह भी है कि ग्रामीण बालिकाओं की स्कूल ड्रॉपआउट दर 22 प्रतिशत से अधिक है. इसके लिए सरकारी गंभीरता कब दिखाई देगी? स्कूलों में शौचालय, सेनेटरी पैड्स, महिला शिक्षिकाएं, अन्य बुनियादी सुविधाएं तक अधूरी हैं. शिक्षा के बजट का उपयोग कहां और कैसे हो रहा है, इस सच को सरकार कब स्वीकार करेगी?

उन्‍होंने कहा है कि आज स्वास्थ्य संबंधी आंकड़े डराते हैं. क्‍योंकि प्रदेश में मातृ मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है. कागजी योजनाएं महिलाओं का भला नहीं कर पा रही हैं. 60 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हीमोग्लोबिन की कमी (एनीमिया) से जूझ रही हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था आज भी भगवान भरोसे ही है. वहीं, राजनीति में महिला प्रतिनिधित्‍व पर भी कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं, प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष का कहना है, राज्य सरकार में महिला मंत्रियों की संख्या अंगुलियों पर गिनी जा सकती हैं, क्यों? पंचायतों और नगरीय निकायों में 33 प्रतिशत आरक्षण होते हुए भी निर्णय लेने की शक्ति अब भी पुरुषों के पास केंद्रित है! राजनीतिक उपेक्षा के इस सरकारी दंश को मध्य प्रदेश की महिलाएं कब तक सहेंगी?

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/ डॉ. मयंक चतुर्वेदी

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