–डायरेक्टर हार्टीकल्चर व फूड प्रोसेसिंग लखनऊ स्पष्टीकरण के साथ तलब
प्रयागराज, 25 अगस्त (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मातृत्व अवकाश में दो साल का अंतराल न होने के कारण अर्जी निरस्त करने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। कहा कि कोर्ट ने एक बच्चे से दूसरे बच्चे के जन्म के बीच दो साल का अंतर होने पर मातृत्व अवकाश देने का नियम बाध्यकारी नहीं माना है। इसके बावजूद अधिकारी मनमानी करते हैं। दो बच्चों में दो साल का अंतर न होने के आधार पर मातृत्व अवकाश अर्जी निरस्त कर रहे हैं।
कोर्ट ने डायरेक्टर हार्टीकल्चर एवं फूड प्रोसेसिंग उ प्र लखनऊ को स्पष्टीकरण के साथ एक सितम्बर को हाजिर होने का निर्देश दिया है और पूछा है कि आदेशों की अवहेलना के लिए उनके खिलाफ क्यों न आरोप निर्मित कर अवमानना कार्यवाही की जाय।
यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार की एकल पीठ ने सुशीला पटेल की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता का कहना है कि याची की अर्जी इस आधार पर खारिज कर दी गई कि पिछले अवकाश व दुबारा मांगे गये अवकाश में दो साल का अंतर नहीं है। जबकि उन्हें कोर्ट के आदेशों की जानकारी दी गई थी। इसके बावजूद आदेश को न मानकर बिना उचित कारण के अर्जी खारिज कर दी, जो अदालत की अवमानना है। याचिका की अगली सुनवाई एक सितम्बर को होगी।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
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