महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले ने मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक भावुक और कड़ा पत्र लिखते हुए महाराष्ट्र सरकार और उसके वरिष्ठ अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। यह पत्र सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस भूषण गवई के हालिया मुंबई दौरे और उसमें हुई कथित प्रोटोकॉल की अनदेखी के संबंध में लिखा गया है।
"मुख्य न्यायाधीश का हुआ अपमान"नाना पटोले ने लिखा कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई, जो स्वयं महाराष्ट्र के बेटे हैं और बहुजन समाज के गौरव माने जाते हैं, उनके स्वागत-सत्कार के लिए मुंबई में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र सरकार के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक (DGP) और मुंबई पुलिस आयुक्त की उपस्थिति प्रोटोकॉल के तहत अपेक्षित थी, लेकिन तीनों ही अधिकारी कार्यक्रम में नहीं पहुंचे। पत्र में उन्होंने लिखा: “यह न केवल एक प्रशासनिक लापरवाही है, बल्कि एक संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति के सम्मान का भी घोर अपमान है। यह अत्यंत पीड़ादायक है कि मुख्य न्यायाधीश को अपने भाषण में यह कहना पड़ा कि यदि अधिकारियों को इस कार्यक्रम में आने की योग्यता नहीं लगती, तो उन्हें स्वयं विचार करना चाहिए।”
"क्या यह जानबूझकर किया गया?"पटोले ने अपने पत्र में यह संदेह भी व्यक्त किया कि जस्टिस गवई के साथ ऐसा व्यवहार जानबूझकर किया गया। उन्होंने लिखा कि न्यायमूर्ति गवई डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के विचारों के अनुयायी हैं, और इस कारण से उनके साथ किया गया यह व्यवहार संपूर्ण महाराष्ट्र में चर्चा का विषय बन गया है। “ऐसा प्रतीत होता है कि महाराष्ट्र सरकार ने जानबूझकर संवैधानिक प्रोटोकॉल की अनदेखी की है। यह केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि संपूर्ण बहुजन समाज और संविधान का अपमान है।”
"फुले-शाहू-अंबेडकर का अपमान"नाना पटोले ने इसे सिर्फ भूषण गवई का नहीं, बल्कि महात्मा फुले, छत्रपति शाहू महाराज और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर जैसी ऐतिहासिक विभूतियों का अपमान करार दिया। उन्होंने राष्ट्रपति से अपील की कि ऐसे व्यवहार को बर्दाश्त न किया जाए और दोषी अधिकारियों तथा सरकार के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए। “आपसे विनम्र अनुरोध है कि इस अपमान की गंभीरता को समझते हुए महाराष्ट्र सरकार और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई सरकार या अधिकारी किसी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का अपमान करने का साहस न कर सके।”
निष्कर्षनाना पटोले का यह पत्र एक संवेदनशील मुद्दे को उजागर करता है, जिसमें एक संवैधानिक पदधारी — वह भी बहुजन समाज से आने वाला — राज्य की उपेक्षा का शिकार हुआ है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इस मामले पर क्या रुख अपनाती हैं और महाराष्ट्र सरकार इस पर क्या स्पष्टीकरण देती है। राजनीतिक और सामाजिक हलकों में इस मुद्दे पर बहस शुरू हो चुकी है।
You may also like
शाह के विवादित बयान मामले की जांच को एसआईटी का गठन
अहमदाबाद 3 जून को फाइनल की मेजबानी करेगा; मुल्लांपुर में होंगे क्वालीफायर-1 और एलिमिनेटर (लीड-1)
50 Cent ने Diddy के समर्थन में प्रदर्शनकारियों का मजाक उड़ाया
पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक बोले, 'भारत को ऑपरेशन जारी रखना चाहिए था'
आईपीएल गवर्निंग काउंसिल ने मैचों का अतिरिक्त समय एक घंटा बढ़ाया, पढ़ें बड़ी खबर