देश में एक बार फिर राजनीतिक सरगर्मी तब बढ़ गई जब आईपीएस अधिकारी पूरण कुमार की आत्महत्या के बाद आप नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने केंद्र सरकार और बीजेपी पर बड़े आरोप लगाए। संजय सिंह ने कहा कि यह मामला सिर्फ एक अधिकारी की मौत का नहीं, बल्कि “सिस्टम के दबाव और सच्चाई को छिपाने की कोशिश” का है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर एक ईमानदार अफसर की अचानक मौत के पीछे कौन-सी ताकतें काम कर रही हैं?
दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए संजय सिंह ने कहा कि पूरण कुमार की मौत कोई सामान्य घटना नहीं है। उन्होंने दावा किया कि इस घटना में कई सवाल अनुत्तरित हैं और सरकार इस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। आप नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर सीधा हमला बोलते हुए कहा, “जब भी कोई अधिकारी सच बोलने या ईमानदारी से काम करने की कोशिश करता है, उसे या तो दबा दिया जाता है या फिर उसकी आवाज हमेशा के लिए बंद कर दी जाती है।”
संजय सिंह ने आगे कहा कि पूरण कुमार एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के रूप में जाने जाते थे। अगर ऐसी मौतें होती रहेंगी और जांच निष्पक्ष नहीं होगी, तो देश के प्रशासनिक ढांचे पर गंभीर सवाल खड़े होंगे। उन्होंने केंद्र सरकार से यह भी पूछा कि आखिर क्यों इस मामले में जांच टीम के गठन में देरी हो रही है और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई।
आप नेता ने यह भी कहा कि यह मामला सिर्फ एक अफसर की मौत का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न है। उन्होंने मांग की कि मामले की जांच सीबीआई या सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए, ताकि सच्चाई सामने आ सके। संजय सिंह ने कहा, “अगर सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है, तो फिर जांच में पारदर्शिता से क्यों डर?”
उन्होंने बीजेपी पर तीखा वार करते हुए कहा कि आज देश में “सत्ता के खिलाफ सच बोलना अपराध माना जा रहा है।” जो भी अधिकारी या नेता सरकार की नीतियों पर सवाल उठाता है, उसे टारगेट किया जाता है। संजय सिंह ने कहा कि पूरण कुमार जैसे ईमानदार अधिकारियों की मौत लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है।
इस बीच विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे को उठाना शुरू कर दिया है। कई विपक्षी नेताओं ने सोशल मीडिया पर पूरण कुमार की मौत की निष्पक्ष जांच की मांग की है। वहीं, बीजेपी की ओर से अभी तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
पूरे मामले ने देश की राजनीति में नया विवाद खड़ा कर दिया है। एक ओर जहां संजय सिंह और विपक्ष इसे ‘सिस्टम की विफलता’ बता रहे हैं, वहीं सत्ता पक्ष से जुड़े सूत्र इस घटना को “दुर्भाग्यपूर्ण लेकिन व्यक्तिगत मामला” कह रहे हैं। अब देखना यह होगा कि इस मौत की जांच किस दिशा में आगे बढ़ती है और क्या वाकई सच्चाई सामने आ पाएगी।
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