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डायबिटीज से लड़ने में गिलोय के अद्भुत लाभ

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डायबिटीज का बढ़ता खतरा

डायबिटीज की गंभीरता: मधुमेह ने वैश्विक स्तर पर लाखों लोगों की जान ली है। यह कई जटिलताओं का कारण बन सकता है और कई मामलों में यह जानलेवा साबित हो सकता है। आजकल की तेज़-तर्रार जीवनशैली, नींद की कमी और व्यायाम की कमी हार्मोनल असंतुलन का कारण बनती है, जिससे मधुमेह जैसी बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं।


स्वास्थ्य की देखभाल की आवश्यकता

विशेषज्ञ डॉ. मनोज कुट्टी, जो 'एटमैंटन वेलनेस सेंटर' के कल्याण निदेशक हैं, का कहना है कि वर्तमान महामारी के दौर में, मधुमेह या बॉर्डरलाइन डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्तियों को अपने स्वास्थ्य की नियमित जांच करानी चाहिए।


मधुमेह के प्रकार

इंटरनेशनल डायबिटीज फाउंडेशन (IDF) के अनुसार, दुनिया में 463 मिलियन लोग मधुमेह से प्रभावित हैं, जिनमें से 88 मिलियन दक्षिण पूर्व एशिया में हैं। मधुमेह मुख्यतः दो प्रकार का होता है: टाइप 1 और टाइप 2। टाइप 1 किसी भी उम्र में विकसित हो सकता है, जबकि टाइप 2 आमतौर पर वयस्कों में पाया जाता है।


गिलोय का महत्व

'गिलोय' या टीनोस्पोरा कॉर्डिफ़ोलिया, जिसे आयुर्वेद में अमरता की जड़ माना जाता है, रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में सहायक है। यह जड़ी बूटी भारतीय उपमहाद्वीप के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती है।


गिलोय के स्वास्थ्य लाभ

गिलोय का उपयोग पाउडर, जूस या कैप्सूल के रूप में किया जा सकता है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-डायबिटिक गुण इसे प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में मधुनाशिनी के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है 'शक्कर का विनाशक'।


गिलोय का सेवन

गिलोय का रस नींबू के साथ मिलाकर सुबह पीना फायदेमंद होता है। डॉ. मनोज कुट्टी के अनुसार, गिलोय अतिरिक्त ग्लूकोज को जलाने में मदद करता है और शरीर में इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ाता है।


गिलोय का प्रभाव

नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) के अध्ययन के अनुसार, गिलोय में मधुमेह विरोधी गतिविधियाँ होती हैं और यह इंसुलिन की तुलना में 40 से 80 प्रतिशत तक प्रभावी है। यह पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में भी सहायक है।


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