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Foreign Policy : अमेरिका में टैरिफ वापसी पर बहस ,चीन को पैसा लौटाने की बात में कितना है दम?

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News India Live, Digital Desk: Foreign Policy : अमेरिका में इस वक्त एक दिलचस्प राजनीतिक बहस छिड़ी हुई है. डोनाल्ड ट्रम्प के करीबी और ट्रेजरी सचिव (वित्त मंत्री) पद के संभावित उम्मीदवार स्कॉट बेसेंट ने एक ऐसा आइडिया सामने रखा है, जिसने सबको चौंका दिया है. उनका कहना है कि अगर वो ट्रेजरी सचिव बनते हैं, तो चीन जैसे देशों से वसूले गए टैरिफ का आधा हिस्सा वापस कर देंगे, लेकिन इसके लिए एक बड़ी शर्त होगी.यह शर्त है कि वो देश अमेरिका के सहयोगी बनें और उसकी विदेश नीति का समर्थन करें. बेसेंट का मानना है कि सिर्फ टैरिफ लगाना काफी नहीं है, बल्कि इसका इस्तेमाल दोस्त और दुश्मन में फर्क करने के लिए भी किया जाना चाहिए. उनका तर्क है कि अगर कोई देश अमेरिका का साथ देता है, तो उसे आर्थिक रूप से फायदा मिलना चाहिए.स्कॉट बेसेंट, जो खुद एक बड़े निवेशक रह चुके हैं, ने ये बातें एक इंटरव्यू में कहीं. उनका ये बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका और चीन के बीच व्यापार को लेकर तनाव पहले से ही काफी बढ़ा हुआ है. ट्रम्प के पिछले कार्यकाल में चीन पर भारी-भरकम टैरिफ लगाए गए थे, जिन्हें अभी तक पूरी तरह से हटाया नहीं गया है.बेसेंट के इस प्रस्ताव से एक नई बहस शुरू हो गई है. कुछ लोगों का मानना है कि यह एक मास्टरस्ट्रोक हो सकता है, जिससे अमेरिका अपने सहयोगियों को साथ रख सकेगा और चीन पर दबाव भी बना रहेगा. वहीं, कुछ आलोचक इसे एक खतरनाक विचार बता रहे हैं. उनका कहना है कि इससे अमेरिका की व्यापार नीति में अस्थिरता आ सकती है.साफ है कि अगर डोनाल्ड ट्रम्प चुनाव जीतकर वापस आते हैं और स्कॉट बेसेंट को ट्रेजरी सचिव बनाया जाता है, तो अमेरिका की व्यापार नीति में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं. यह "टैरिफ वापसी" का फॉर्मूला सिर्फ एक चुनावी वादा बनकर रह जाता है या हकीकत बनता है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा. लेकिन इतना तो तय है कि इस एक बयान ने दुनिया भर के आर्थिक और राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है.
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