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Varuthini Ekadashi 2025: जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व, पढ़ें विष्णु चालीसा और आरती

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Varuthini Ekadashi 2025: जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व, पढ़ें विष्णु चालीसा और आरती

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है, और वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की वरुथिनी एकादशी का तो अत्यंत विशेष स्थान है। वर्ष 2025 में वरुथिनी एकादशी गुरुवार के दिन पड़ रही है, जो एक बेहद शुभ संयोग माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से घर-परिवार में सुख, समृद्धि और शांति आती है। इसके अलावा जाने-अनजाने में किए गए पापों से भी मुक्ति मिलती है।

वरुथिनी एकादशी 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त:
  • दिनांक: गुरुवार, 24 अप्रैल 2025

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 23 अप्रैल 2025, बुधवार शाम

  • एकादशी तिथि समापन: 24 अप्रैल 2025, गुरुवार शाम

(सटीक समय पंचांग अनुसार स्थानीय भिन्नता के आधार पर देख सकते हैं)

वरुथिनी एकादशी का महत्व:

वरुथिनी एकादशी व्रत से भगवान विष्णु अत्यंत प्रसन्न होते हैं। इस दिन व्रत-उपवास, विष्णु पूजन, विष्णु सहस्रनाम, विष्णु चालीसा और विष्णु आरती पढ़ने से व्यक्ति के सभी संकट दूर होते हैं, मनोकामनाएं पूरी होती हैं और घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है।

पूजा विधि:
  • एकादशी के दिन प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।

  • घर के मंदिर या पूजास्थल को स्वच्छ करें।

  • भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।

  • घी का दीपक जलाएं और फूल, तुलसी के पत्ते, फल आदि अर्पित करें।

  • भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए विष्णु चालीसा का पाठ करें।

  • पूजा के अंत में भगवान विष्णु की आरती करें।

  • विष्णु चालीसा पाठ के लाभ:

    वरुथिनी एकादशी पर विष्णु चालीसा का पाठ विशेष फलदायी होता है। इससे जीवन के कष्ट दूर होते हैं, मन शांत होता है, और भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है।

    विष्णु चालीसा (अंश):

    नमो विष्णु भगवान खरारी।
    कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥

    प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी।
    त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥

    सुन्दर रूप मनोहर सूरत।
    सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥

    तन पर पीताम्बर अति सोहत।
    बैजन्ती माला मन मोहत॥

    (संपूर्ण चालीसा पाठ के लिए धार्मिक पुस्तकों या ऑनलाइन स्रोत देखें)

    विष्णु जी की आरती:

    ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
    भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥

    जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
    सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥

    मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
    तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥

    तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी।
    पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥

    (संपूर्ण आरती किसी धार्मिक पुस्तक या इंटरनेट से लें)

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