काबुल/इस्लामाबाद: पाकिस्तान से जंग के बाद तालिबान के लिए भारत से एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। भारत ने इस बात की पुष्टि की है कि अमेरिका ने भारत को चाबहार पोर्ट के लिए छूट को 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है। इससे अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ईरान के खिलाफ लगाए गए सख्त प्रतिबंध भारत के बनाए हुए चाबहार पोर्ट पर नहीं पड़ेंगे। भारत सरकार ने पिछले साल ही ईरान के साथ चाबहार पोर्ट के लिए 10 साल का समझौता किया था। चाबहार पोर्ट रणनीतिक रूप से भारत के लिए बेहद अहम है। यह पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से कुछ ही दूरी पर है। इस खबर के आने के बाद जहां तालिबानी बहुत खुश हैं, वहीं पाकिस्तानी भड़के हुए हैं। वे इसके लिए भारत को भला बुरा कह रहे हैं। आइए जानते हैं पूरा मामला   
   
तालिबानी सोशल मीडिया इंन्फ्लूएंशर एस हैदर हाशिमी ने एक्स पर इस चाबहार को छूट मिलने की खबर को पोस्ट किया और कहा, 'अफगानिस्तान को अब पाकिस्तान से व्यापार की जरूरत नहीं होगी। हम भारत के साथ अब बड़े पैमाने पर व्यापार को शुरू करेंगे।' दरअसल, अफगानिस्तान एक जमीन से घिरा हुआ देश है। भारत से व्यापार के लिए अफगानिस्तान को पाकिस्तान का रास्ता लेना पड़ता है। भारत एक बहुत बड़ा बाजार है और अफगानिस्तान के व्यापारी हर साल करोड़ों का व्यापार करते हैं। अफगानिस्तान और पाकिस्तान तनाव की वजह से यह व्यापार रुक जाता है। पाकिस्तान भारत को अफगानिस्तान से व्यापार करने के लिए रास्ता नहीं देता है।
     
चाबहार पर पाकिस्तानी निकाल रहे भड़ास
चाबहार पोर्ट बनने के बाद अब भारत अपने सामान को सीधे ईरान के रास्ते अफगानिस्तान तक आसानी से भेज पा रहा है। वहीं अब तालिबानी सरकार भी चाबहार के रास्ते ही दुनिया से व्यापार तेज करने पर फोकस कर रही है। इससे उसकी पाकिस्तान पर से निर्भरता कम हो गई है जो उसे सुविधा देने के नाम पर लूट रहा था और शर्तें थोप रहा था। वहीं अमेरिका के इस फैसले से पाकिस्तानी भड़के हुए हैं। पाकिस्तान सरकार के पिट्ठू और अंतरराष्ट्रीय मामलों के टिप्पणीकार कमर चीमा का कहना है कि यह भारत के दबाव में अमेरिका ने छूट दी है। उन्होंने कहा कि ईरानी चाबहार का विकास चाहते थे और भारत ने उनका सपोर्ट किया है।
   
कमर चीमा ने कहा कि पाकिस्तान यह समझता है कि भारत ईरान और अफगानिस्तान में घुसपैठ कर रहा है और इसे इस्लामाबाद सहन नहीं कर सकता है। अगर भारत पहुंच बढ़ाता है तो यह पाकिस्तान के बहुत बुरा होगा। इससे पहले अमेरिका ने ईरान में चाबहार बंदरगाह पर अमेरिकी प्रतिबंधों से भारत को छह महीने की छूट दे दी। ये प्रतिबंध 29 सितंबर से लागू होने थे, लेकिन दोनों पक्षों के बीच बातचीत के बाद एक महीने की छूट दी गई। छह महीने की नयी छूट 29 अक्टूबर से प्रभावी होगी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने अपनी साप्ताहिक प्रेस वार्ता में बताया, 'ईरान में चाबहार बंदरगाह के लिए हमें अमेरिकी प्रतिबंधों से छह महीने की छूट दी गई है।'
   
भारत कर रहा है चाबहार का संचालन
पिछले महीने, डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने ईरान में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह के संबंध में 2018 के प्रतिबंधों में छूट को रद्द करने के अपने फैसले की घोषणा की थी। ईरान के दक्षिणी छोर पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित चाबहार बंदरगाह के विकास में भारत एक प्रमुख भागीदार है। वर्तमान में, भारत इस बंदरगाह पर शाहिद बेहेश्टी टर्मिनल का संचालन कर रहा है। अमेरिकी विदेश विभाग ने पिछले महीने कहा था कि चाबहार बंदरगाह का संचालन करने वाले और अन्य संबंधित गतिविधियों में शामिल लोगों को 29 सितंबर से अमेरिका ईरान स्वतंत्रता और प्रसार-रोधी अधिनियम (आईएफसीए) के तहत प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा।
   
भारत और ईरान द्वारा संपर्क और व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने के लिए चाबहार बंदरगाह का विकास किया जा रहा है। दोनों देश चाबहार बंदरगाह को अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) का एक अभिन्न अंग बनाने पर भी ज़ोर दे रहे हैं। आईएनएसटीसी भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल ढुलाई के लिए 7,200 किलोमीटर लंबी विभिन्न माध्यम वाली परिवहन परियोजना है।
  
तालिबानी सोशल मीडिया इंन्फ्लूएंशर एस हैदर हाशिमी ने एक्स पर इस चाबहार को छूट मिलने की खबर को पोस्ट किया और कहा, 'अफगानिस्तान को अब पाकिस्तान से व्यापार की जरूरत नहीं होगी। हम भारत के साथ अब बड़े पैमाने पर व्यापार को शुरू करेंगे।' दरअसल, अफगानिस्तान एक जमीन से घिरा हुआ देश है। भारत से व्यापार के लिए अफगानिस्तान को पाकिस्तान का रास्ता लेना पड़ता है। भारत एक बहुत बड़ा बाजार है और अफगानिस्तान के व्यापारी हर साल करोड़ों का व्यापार करते हैं। अफगानिस्तान और पाकिस्तान तनाव की वजह से यह व्यापार रुक जाता है। पाकिस्तान भारत को अफगानिस्तान से व्यापार करने के लिए रास्ता नहीं देता है।
चाबहार पर पाकिस्तानी निकाल रहे भड़ास
चाबहार पोर्ट बनने के बाद अब भारत अपने सामान को सीधे ईरान के रास्ते अफगानिस्तान तक आसानी से भेज पा रहा है। वहीं अब तालिबानी सरकार भी चाबहार के रास्ते ही दुनिया से व्यापार तेज करने पर फोकस कर रही है। इससे उसकी पाकिस्तान पर से निर्भरता कम हो गई है जो उसे सुविधा देने के नाम पर लूट रहा था और शर्तें थोप रहा था। वहीं अमेरिका के इस फैसले से पाकिस्तानी भड़के हुए हैं। पाकिस्तान सरकार के पिट्ठू और अंतरराष्ट्रीय मामलों के टिप्पणीकार कमर चीमा का कहना है कि यह भारत के दबाव में अमेरिका ने छूट दी है। उन्होंने कहा कि ईरानी चाबहार का विकास चाहते थे और भारत ने उनका सपोर्ट किया है।
कमर चीमा ने कहा कि पाकिस्तान यह समझता है कि भारत ईरान और अफगानिस्तान में घुसपैठ कर रहा है और इसे इस्लामाबाद सहन नहीं कर सकता है। अगर भारत पहुंच बढ़ाता है तो यह पाकिस्तान के बहुत बुरा होगा। इससे पहले अमेरिका ने ईरान में चाबहार बंदरगाह पर अमेरिकी प्रतिबंधों से भारत को छह महीने की छूट दे दी। ये प्रतिबंध 29 सितंबर से लागू होने थे, लेकिन दोनों पक्षों के बीच बातचीत के बाद एक महीने की छूट दी गई। छह महीने की नयी छूट 29 अक्टूबर से प्रभावी होगी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने अपनी साप्ताहिक प्रेस वार्ता में बताया, 'ईरान में चाबहार बंदरगाह के लिए हमें अमेरिकी प्रतिबंधों से छह महीने की छूट दी गई है।'
भारत कर रहा है चाबहार का संचालन
पिछले महीने, डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने ईरान में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह के संबंध में 2018 के प्रतिबंधों में छूट को रद्द करने के अपने फैसले की घोषणा की थी। ईरान के दक्षिणी छोर पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित चाबहार बंदरगाह के विकास में भारत एक प्रमुख भागीदार है। वर्तमान में, भारत इस बंदरगाह पर शाहिद बेहेश्टी टर्मिनल का संचालन कर रहा है। अमेरिकी विदेश विभाग ने पिछले महीने कहा था कि चाबहार बंदरगाह का संचालन करने वाले और अन्य संबंधित गतिविधियों में शामिल लोगों को 29 सितंबर से अमेरिका ईरान स्वतंत्रता और प्रसार-रोधी अधिनियम (आईएफसीए) के तहत प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा।
भारत और ईरान द्वारा संपर्क और व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने के लिए चाबहार बंदरगाह का विकास किया जा रहा है। दोनों देश चाबहार बंदरगाह को अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) का एक अभिन्न अंग बनाने पर भी ज़ोर दे रहे हैं। आईएनएसटीसी भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल ढुलाई के लिए 7,200 किलोमीटर लंबी विभिन्न माध्यम वाली परिवहन परियोजना है।
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