पेरिस/नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना ने रक्षा मंत्रालय को 114 राफेल फाइटर जेट खरीदने का प्रस्ताव भेजा है। रक्षा मंत्रालय में फिलहाल उसपर विचार चल रहा है। राफेल खरीदा जाए या नहीं, इसपर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है। हां, इतना जरूर है कि भारतीय वायुसेना में कम होते लड़ाकू विमानों को देखते हुए सरकार पर किसी नतीजे तक जल्द पहुंचने का प्रेशर है। इस बीच पिछले दिनों एक रिपोर्ट और आई थी, जिसमें कहा गया है कि चीन, भारत के अनुरोध पर पाकिस्तान को J-35 स्टील्थ फाइटर जेट देने में थोड़ी देरी कर सकता है। रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत ने चीन से अनुरोध किया था कि वो जे-35 की सप्लाई इतनी जल्दी ना दे।
हालांकि नवभारत टाइम्स इस दावे की पुष्टि नहीं कर रहा है, लेकिन दो बातें होती दिख रही हैं। 1- पाकिस्तान चीन से J-35 खरीद रहा है, हैरान करते हुए वो इस बात से इनकार कर चुका है। 2- चीन कम से कम अगले 2 सालों तक पाकिस्तान को J-35 नहीं सौपने जा रहा है और इसके पीछे सप्लाई चेन को लेकर दिक्कतें और उसकी अपनी प्राथमिकताएं बताई गई हैं। चीन ने अपने फुजियान एयरक्राफ्ट कैरियर पर J-35 की तैनाती शुरू कर दी है। कुल मिलाकर पाकिस्तान को अगले 6 महीने या 1 साल या 2 सालों तक पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट नहीं मिलने वाला है।
भारत में राफेल बनाने के लिए फ्रांस तैयार!
दिप्रिंट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि फ्रांसीसी राजदूत थिएरी मथौ ने भारत में राफेल बनाने को लेकर सकारात्मक संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि फ्रांस पहले ही भारत के साथ लड़ाकू विमान के लिए दो सौदे कर चुका है और एक नया सौदा करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि फ्रांस समझता है कि भारत के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि देश रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करे। दिप्रिंट ने उनके हवाले से कहा, "जब हम इन क्षेत्रों में अन्य हितधारकों के साथ अपने दृष्टिकोण की तुलना करते हैं, तो हमारा उद्योग पूरी तरह से मेक इन इंडिया के मूड में है।" उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर जल्द ही चर्चा होने की संभावना है। उन्होंने आगे कहा, "और मैं आपको बता सकता हूं कि हम न सिर्फ राफेल बेचने के लिए, बल्कि भारत में राफेल बनाने के लिए भी बहुत उत्सुक हैं।"
इससे पहले, मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि डसॉल्ट एविएशन लगभग 60 प्रतिशत स्वदेशीकरण के साथ भारत में विमान के लिए अंतिम असेंबली लाइन स्थापित करने को तैयार है। लेकिन इन सबके बीच वापस चीन-पाकिस्तान J-35 पर लौटते हैं। अगर पाकिस्तान को अगले 2 सालों तक J-35 नहीं मिलते तो भारत के पास अपने स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस-2 को लेकर एक आशा दिखने लगती है। तेजस का 2032 तक प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा और अगर भारत, फ्रांस से राफेल डील करता है तो फ्रांस भी उसकी डिलीवरी देना 2028-29 तक ही शुरू करेगा। इसके अलावा भारत में राफेल बनाने के लिए प्लांट बनाने में ही कुछ साल लग जाएंगे। ऐसे में भारत की 2-3 साल के गैप पर नजर है।
ऐसा तो नहीं है कि भारत राफेल ना खरीदे?
कुछ डिफेंस एक्सपर्ट्स ने नवभारत टाइम्स से बात करते हुए कहा है कि "फ्रांस से 22 से 25 अरब डॉलर की डील करने से बेहतर हो सकता है कि थोड़ा रिस्क लेकर तेजस-2 का भारत इंतजार करे। फिर 2035 तक AMCA प्रोग्राम भी आ जाएगा।" हालांकि इसमें कई पेंच हैं। जैसे अगर 2032 तक तेजस-2 बन जाता है तो उसके प्रोडक्शन की रफ्तार क्या होगी, भारतीय वायुसेना कम संख्या में एडवांस फाइटर जेट के कैसे टू-फ्रंट वॉर के लिए तैयार रहेगी? भारतीय वायुसेना के पास अभी करीब 29-30 स्क्वार्डर्न ही हैं, जबकि जरूरत 42 स्क्वार्डर्न की है। लेकिन अगर वाकई भारत की नजर स्वदेशी तेजस पर ही है तो फिर हो सकता है कि भारत राफेल डील को रोक ले। इसीलिए सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या फ्रांस, इसीलिए तो भारत में राफेल बनाने के लिए तैयार नहीं हो गया है?
हालांकि नवभारत टाइम्स इस दावे की पुष्टि नहीं कर रहा है, लेकिन दो बातें होती दिख रही हैं। 1- पाकिस्तान चीन से J-35 खरीद रहा है, हैरान करते हुए वो इस बात से इनकार कर चुका है। 2- चीन कम से कम अगले 2 सालों तक पाकिस्तान को J-35 नहीं सौपने जा रहा है और इसके पीछे सप्लाई चेन को लेकर दिक्कतें और उसकी अपनी प्राथमिकताएं बताई गई हैं। चीन ने अपने फुजियान एयरक्राफ्ट कैरियर पर J-35 की तैनाती शुरू कर दी है। कुल मिलाकर पाकिस्तान को अगले 6 महीने या 1 साल या 2 सालों तक पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट नहीं मिलने वाला है।
भारत में राफेल बनाने के लिए फ्रांस तैयार!
दिप्रिंट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि फ्रांसीसी राजदूत थिएरी मथौ ने भारत में राफेल बनाने को लेकर सकारात्मक संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि फ्रांस पहले ही भारत के साथ लड़ाकू विमान के लिए दो सौदे कर चुका है और एक नया सौदा करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि फ्रांस समझता है कि भारत के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि देश रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करे। दिप्रिंट ने उनके हवाले से कहा, "जब हम इन क्षेत्रों में अन्य हितधारकों के साथ अपने दृष्टिकोण की तुलना करते हैं, तो हमारा उद्योग पूरी तरह से मेक इन इंडिया के मूड में है।" उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर जल्द ही चर्चा होने की संभावना है। उन्होंने आगे कहा, "और मैं आपको बता सकता हूं कि हम न सिर्फ राफेल बेचने के लिए, बल्कि भारत में राफेल बनाने के लिए भी बहुत उत्सुक हैं।"
इससे पहले, मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि डसॉल्ट एविएशन लगभग 60 प्रतिशत स्वदेशीकरण के साथ भारत में विमान के लिए अंतिम असेंबली लाइन स्थापित करने को तैयार है। लेकिन इन सबके बीच वापस चीन-पाकिस्तान J-35 पर लौटते हैं। अगर पाकिस्तान को अगले 2 सालों तक J-35 नहीं मिलते तो भारत के पास अपने स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस-2 को लेकर एक आशा दिखने लगती है। तेजस का 2032 तक प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा और अगर भारत, फ्रांस से राफेल डील करता है तो फ्रांस भी उसकी डिलीवरी देना 2028-29 तक ही शुरू करेगा। इसके अलावा भारत में राफेल बनाने के लिए प्लांट बनाने में ही कुछ साल लग जाएंगे। ऐसे में भारत की 2-3 साल के गैप पर नजर है।
ऐसा तो नहीं है कि भारत राफेल ना खरीदे?
कुछ डिफेंस एक्सपर्ट्स ने नवभारत टाइम्स से बात करते हुए कहा है कि "फ्रांस से 22 से 25 अरब डॉलर की डील करने से बेहतर हो सकता है कि थोड़ा रिस्क लेकर तेजस-2 का भारत इंतजार करे। फिर 2035 तक AMCA प्रोग्राम भी आ जाएगा।" हालांकि इसमें कई पेंच हैं। जैसे अगर 2032 तक तेजस-2 बन जाता है तो उसके प्रोडक्शन की रफ्तार क्या होगी, भारतीय वायुसेना कम संख्या में एडवांस फाइटर जेट के कैसे टू-फ्रंट वॉर के लिए तैयार रहेगी? भारतीय वायुसेना के पास अभी करीब 29-30 स्क्वार्डर्न ही हैं, जबकि जरूरत 42 स्क्वार्डर्न की है। लेकिन अगर वाकई भारत की नजर स्वदेशी तेजस पर ही है तो फिर हो सकता है कि भारत राफेल डील को रोक ले। इसीलिए सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या फ्रांस, इसीलिए तो भारत में राफेल बनाने के लिए तैयार नहीं हो गया है?
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