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राफेल vs टाइफून? पाकिस्तान के दोस्त ने किया 95,000 करोड़ का जेट समझौता, एक विमान की कीमत उड़ा देगी होश

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अंकारा: इस साल मई में ऑपरेशन सिंदूर के समय पाकिस्तान के पक्ष में जो देश खुलकर खड़े हुए थे, उनमें सबसे प्रमुख नाम तुर्की का है। तुर्की ने ना सिर्फ वैश्विक मचों पर पाकिस्तान का साथ दिया बल्कि उसे सैन्य मदद भी की। इसने भारत और तुर्की के रिश्ते को प्रभावित किया है। इस तनातनी के बीच तुर्की के कदम ने ध्यान खींचा है। तुर्की ने ब्रिटेन के साथ लड़ाकू विमानों का अहम समझौता किया है। ऐसा करते हुए भारत का विरोधी और पाकिस्तान का करीबी सहयोगी तुर्की हथियारों की दौड़ में शामिल हो गया है। इसने राफेल और टायफून के टकराव पर भी लोगों का ध्यान दिलाया है।

तुर्की ने बीते महीने ब्रिटेन के साथ 10.7 अरब डॉलर (95,000 करोड़ रुपए) में 20 यूरोफाइटर टाइफून जेट खरीद का सौदा किया है। ऐसे में एक जेट की कीमत 4,750 करोड़ रुपए होती है। यह इसे दुनिया के सबसे महंगे लड़ाकू विमान सौदों में से एक बनाता है। इन जेट भारी हथियारों से लैस होने की उम्मीद है। इसके चलते इनकी तुलना भारत को फ्रांस से मिले राफेल की खरीद से की जा रही है।

भारत का राफेल सौदासाल 2016 में भारत ने फ्रांस से 60,000 करोड़ रुपए में 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदे थे। ऐसे में इस एक जेट की कीमत 1,666 करोड़ होती है। यह उस समय एक महत्वपूर्ण व्यय माना जाता था। तुर्की ने अब ब्रिटेन के साथ यूरोफाइटर का सौदा करते हुए राफेल की कीमतों को पीछे छोड़ दिया है। तुर्की ने सबसे महंगा जेट खरीदने के लिए सौदा किया है।

तुर्की-ब्रिटेन का सौदा लंबे समय से चल रही बातचीत का नतीजा है। इसमें तुर्की को पहले जेट विमानों की आपूर्ति 2030 में होने की उम्मीद है। बीते महीने स्टार्मर ने अंकारा में तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन से मिलते हुए इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। तुर्की को ये ताकतवर जेट मिलने से ना सिर्फ भारत बल्कि इजरायल, ग्रीस और साइप्रस की चिंता भी बढ़ सकती है।

क्यों खास है यूरोफाइटरयूरोफाइटर टाइफून बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान है। यह एक दो इंजन वाला सुपरसोनिक जेट है, जो हवा से हवा और हवा से जमीन पर लड़ाई के मिशनों के लिए इस्तेमाल होता है। यूरोफाइटर जेट विमानों का उत्पादन ब्रिटेन, जर्मनी, इटली और स्पेन संयुक्त रूप से करते हैं। ऐसे में यह सौदा कंसोर्टियम के अन्य सदस्यों की मंजूरी के अधीन था। यानी ब्रिटेन को इस डील के लिए इटली, जर्मनी और स्पेन की ओर से भी मंजूरी लेनी पड़ी है।
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