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घर छूटे, तटबंध बने आशियाना, बाराबंकी में सरयू नदी खतरे के निशान से 48 सेंमी ऊपर बह रही, 47 गांव में बाढ़

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जितेन्द्र कुमार मौर्य, बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में सरयू नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया है। तीन तहसीलों के तलहटी में बसे करीब 47 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। बनबसा बैराज से छोड़े गए नेपाल के पहाड़ों का 3.5 क्यूसेक पानी ने तबाही मचाना शुरू कर दिया है। तलहटी में बसे गांव के घरों में घुस रहे पानी से ग्रामीण दहशत में है। सभी गृहस्थी का समान समेट कर सुरक्षित और ऊंचे स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं और अपना अस्थायी रूप से आशियाना बनाने की जुगत में लगे हैं। वहीं, कुछ इलाकों में ग्रामीण अपने मवेशियों की चिंता में अपना घर छोड़ने को तैयार नहीं है। जिन्हें किसी भी अनहोनी की घटना से बचाने के लिए प्रशासन उन्हें निकालने के लिए मान-मनौअल में जुटा है।
रामनगर, सिरौलीगौसपुर, रामसनेहीघाट के गांवों में बाढ़ image

बाराबंकी में सरयू नदी ने तबाही मचाना शुरू कर दिया है। खतरे के निशान से 48 सेंटीमीटर ऊपर बह रही सरयू नदी का पानी रामनगर, सिरौलीगौसपुर, रामसनेहीघाट तहसील के करीब 47 गांवों तक पहुंच गया है। कुछ गांव ऐसे भी हैं, जो पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं। इन गांवों के बाढ़ पीड़ितों ने घर गृहस्थी के सामान के साथ तटबंध पर डेरा जमा लिया है।




लोग मवेशियों को छोड़ने को तैयार नहीं image

हेतमापुर अपस्ट्रीम के बाढ़ प्रभावित गांवों के लोगों के लिए प्रशासन 5.82 करोड़ की लागत से बने बाढ़ शरणालय में खाने-पीने के साथ ही ठहरने की व्यवस्था की है। इसके बावजूद बाढ़ पीड़ित तटबंध छोड़कर बाढ़ शरणालय में अस्थायी रूप रहने को तैयार नहीं हैं। बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि हमें खुद के परिवार के साथ अपने मवेशियों की भी चिंता है। वहां हम रहेंगे, लेकिन मेरे मवेशी कहां जाएंगे, उनकी देखभाल कौन करेगा। गुरुवार को अधिकारियों के साथ तटबंध पर पहुंची ज्वाइंट मजिस्ट्रेट गुंजीता अग्रवाल ने बाढ़ पीड़ितों से बातचीत कर उन्हें समझाने का प्रयास किया, लेकिन बाढ़ पीड़ित बाढ़ शरणालय में रहने को तैयार नहीं हुए। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक, गुरुवार शाम 6 बजे एल्गिन ब्रिज पर सरयू नदी का जलस्तर 106.550 मीटर रिकॉर्ड किया गया। यह खतरे के निशान से 48 सेंटीमीटर ऊपर बह रहा है। इससे नदी के तटवर्ती इलाके के लोगों का जनजीवन अस्त व्यस्त है।




नाव बनी आवागमन का सहारा image

रामनगर तहसील के सुंदरनगर, कोड़री और ललपुरवा गांव में बाढ़ के पानी से जलमग्न हैं। पानी लोगों के घरों में पहुंच चुका है। इन गांवों के करीब 25 परिवारों ने तटबंध शरण ले ली है। कुछ परिवार अब भी अपने घरों में रह रहे हैं। इसके अलावा 20 से अधिक गांव बाढ़ के पानी से घिरे हैं। बाढ़ का पानी इन गांवों में भले न पहुंचा हो, लेकिन संपर्क मार्गों पर पानी भरा होने की वजह से ग्रामीण नाव के सहारे आवागमन करने को विवश हैं। गुरुवार दोपहर रामनगर तहसील की ज्वाइंट मजिस्ट्रेट गुंजिता अग्रवाल ने गुरुवार को हेतमापुर इलाके के बाढ़ प्रभावित गांवों का निरीक्षण किया। साथ ही पांडेयपुर स्थित बाढ़ शरणालय पहुंच कर व्यवस्थाएं परखीं। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने अधिकारियों को सभी बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं। तहसीलदार विपुल सिंह, सीओ जगत कनौजिया, बीडीओ देवेंद्र प्रताप सिंह, सीएचसी अधीक्षक राजर्षि त्रिपाठी मौजूद रहे।


42 स्कूलों पर बाढ़ का संकट image

सरयू नदी के बढ़ते जलस्तर की वजह से स्कूलों पर भी बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। इससे छात्रों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। सूरतगंज, रामनगर, सिरौलीगौसपुर और पुरेडलई ब्लाक के 42 बेसिक स्कूल हर साल बाढ़ से प्रभावित होते हैं। इन स्कूलों में करीब चार हजार बच्चे पंजीकृत हैं। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इससे इन स्कूलों के सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करने की योजना बनाई गई है। बेसिक शिक्षा अधिकारी संतोष देव पांडेय का कहना है कि अभी बाढ़ का पानी स्कूलों में नहीं पहुंचा है। बाढ़ का पानी स्कूलों में पहुंचते ही बाढ़ प्रभावित इलाके के स्कूलों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट कर दिया जाएगा।




बाढ़ के पानी से घिरे स्कूल image

बाढ़ की वजह से बच्चों की पढ़ाई पर कोई असर न आए इसके लिए बच्चे नाव के सहारे स्कूल जा रहे हैं। सड़कों पर बाढ़ के पानी से प्रभावित गांवों के ग्रामीणों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए नाव की व्यवस्था कर रखी है। नाव में छात्रों को बैठाकर तटबंध छोड़ते हैं। इसके बाद स्कूल से वापस आने पर नाव से ही घर ले जाते हैं। नदी के बढ़े जलस्तर से तलहटी के स्कूल बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं।

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