श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में 11 नवंबर को होने वाले नगरोटा और बडगाम विधानसभा सीटों के उपचुनाव ने केंद्र शासित प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। इन उपचुनावों ने सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ-साथ नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन के भीतर तनाव को भी उजागर कर दिया है। बडगाम से ताल्लुक रखने वाले श्रीनगर से नेशनल कॉन्फ्रेंस के लोकसभा सदस्य आगा रूहुल्लाह ने कहा है कि वह पार्टी उम्मीदवार आगा महमूद के लिए प्रचार नहीं करेंगे। जो कि उनके चेरे भाई भी हैं।
सांसद आगा रूहुल्लाह की क्या डिमांड?
नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद आगा रूहुल्लाह मांग कर रहे हैं कि उनकी पार्टी बडगाम सीट के लिए उम्मीदवार की घोषणा करने से पहले आरक्षण पर रिपोर्ट सार्वजनिक करे। यह सीट जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के बडगाम सीट से इस्तीफा देने के बाद खाली हुई थी। दरअसल उमर ने दो विधानसभा सीटों बडगाम और गांदरबल से चुनाव लड़ा था। बडगाम से उमर के इस्तीफा देने के चलते लोग नाराज हैं।
सरकार की नीतियों की तीखी आलोचना
रूहुल्लाह ने जम्मू-कश्मीर में अपनी पार्टी की सरकार की नीतियों की तीखी आलोचना की है। जिसने इसी महीने एक साल पूरा किया है। उन्होंने आरक्षण नीति में सुधार की मांग करने वाले प्रदर्शनों का भी समर्थन किया है। उनका कहना है कि यह नीति 'ओपन मेरिट' के खिलाफ है और इसमें भारी गड़बड़ी है।
आगा महमूद के लिए प्रचार से इनकार
हाल ही में जब आगा महमूद ने मीडिया से कहा कि रूहुल्लाह उनके लिए प्रचार करेंगे, तो सांसद ने जवाब दिया कि मेरी वफादारी मेरी अंतरात्मा और सिद्धांतों के प्रति है। मैं अपने परिवार के बड़ों का सम्मान करता हूं, लेकिन मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि वे मेरी लड़ाई को कम न आंकें। अगर वे इसे समझ नहीं सकते और इसमें शामिल नहीं हो सकते, तो कम से कम मुझे और मेरे संघर्ष को इस स्तर तक न घसीटें।
उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने किया कटाक्ष
जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने रूहुल्लाह पर कटाक्ष करते हुए मीडियाकर्मियों से कहा कि मैं सिर्फ एक आगा साहब को जानता हूं, जो बडगाम से पार्टी के उम्मीदवार हैं और उनका नाम आगा महमूद है। वह पार्टी के आदमी हैं। मेरे नेता वही हैं जो पार्टी और उमर अब्दुल्ला और फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व का सम्मान करते हैं। उनकी टिप्पणियों के जवाब में रूहुल्लाह के कई समर्थकों ने चौधरी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और उनसे माफी मांगने की मांग की।
बडगाम में कौन पड़ेगा भारी?
दरअसल बडगाम में मुख्य मुकाबला नेशनल कॉन्फ्रेंस के महमूद और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के मुंतजिर (जो रूहुल्लाह के चचेरे भाई और महमूद के भतीजे हैं) और अवामी इत्तेहाद पार्टी के नजीर खान के बीच है। पीडीपी नेशनल कॉन्फ्रेंस के खिलाफ लोगों के गुस्से और रूहुल्लाह के अपनी ही पार्टी के खिलाफ रुख का फायदा उठाना चाहती है। खान इस निर्वाचन क्षेत्र में सुन्नी वोटों पर निर्भर हैं। दो राजनीतिक रूप से कमजोर चेहरे आम आदमी पार्टी की दीबा खान और एक निर्दलीय उम्मीदवार जिबरान डार भी चुनाव लड़ रहे हैं।
नगरोट में किसके बीच मुकाबला?
जम्मू के नगरोटा निर्वाचन क्षेत्र में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के बीच इस सीट को लेकर मतभेद था। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कांग्रेस को अपना उम्मीदवार उतारने का सुझाव दिया था, लेकिन राष्ट्रीय पार्टी ने इनकार कर दिया। पिछले विधानसभा चुनाव में विधायक देविंदर सिंह राणा के निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी। अब बीजेपी ने राणा की बेटी देवयानी को मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला नेशनल कॉन्फ्रेंस की शमीम बेगम से होगा।
कांग्रेस ने क्यों नहीं उतारा उम्मीदवार?
इस सीट पर कांग्रेस का उम्मीदवार पिछले चुनाव में तीसरे स्थान पर था। उनका कहना है कि वह नगरोटा से कोई उम्मीदवार नहीं उतारेगी ताकि बीजेपी यह सीट न जीत सके। इससे पहले राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने चार सीटों में से एक सुरक्षित सीट की मांग की थी। लेकिन नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कांग्रेस को चौथी असुरक्षित सीट की पेशकश की, जिसे कांग्रेस ने अस्वीकार कर दिया। इससे दोनों गठबंधन सहयोगियों के बीच की खाई और चौड़ी हो गई।
सांसद आगा रूहुल्लाह की क्या डिमांड?
नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद आगा रूहुल्लाह मांग कर रहे हैं कि उनकी पार्टी बडगाम सीट के लिए उम्मीदवार की घोषणा करने से पहले आरक्षण पर रिपोर्ट सार्वजनिक करे। यह सीट जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के बडगाम सीट से इस्तीफा देने के बाद खाली हुई थी। दरअसल उमर ने दो विधानसभा सीटों बडगाम और गांदरबल से चुनाव लड़ा था। बडगाम से उमर के इस्तीफा देने के चलते लोग नाराज हैं।
सरकार की नीतियों की तीखी आलोचना
रूहुल्लाह ने जम्मू-कश्मीर में अपनी पार्टी की सरकार की नीतियों की तीखी आलोचना की है। जिसने इसी महीने एक साल पूरा किया है। उन्होंने आरक्षण नीति में सुधार की मांग करने वाले प्रदर्शनों का भी समर्थन किया है। उनका कहना है कि यह नीति 'ओपन मेरिट' के खिलाफ है और इसमें भारी गड़बड़ी है।
आगा महमूद के लिए प्रचार से इनकार
हाल ही में जब आगा महमूद ने मीडिया से कहा कि रूहुल्लाह उनके लिए प्रचार करेंगे, तो सांसद ने जवाब दिया कि मेरी वफादारी मेरी अंतरात्मा और सिद्धांतों के प्रति है। मैं अपने परिवार के बड़ों का सम्मान करता हूं, लेकिन मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि वे मेरी लड़ाई को कम न आंकें। अगर वे इसे समझ नहीं सकते और इसमें शामिल नहीं हो सकते, तो कम से कम मुझे और मेरे संघर्ष को इस स्तर तक न घसीटें।
उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने किया कटाक्ष
जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने रूहुल्लाह पर कटाक्ष करते हुए मीडियाकर्मियों से कहा कि मैं सिर्फ एक आगा साहब को जानता हूं, जो बडगाम से पार्टी के उम्मीदवार हैं और उनका नाम आगा महमूद है। वह पार्टी के आदमी हैं। मेरे नेता वही हैं जो पार्टी और उमर अब्दुल्ला और फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व का सम्मान करते हैं। उनकी टिप्पणियों के जवाब में रूहुल्लाह के कई समर्थकों ने चौधरी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और उनसे माफी मांगने की मांग की।
बडगाम में कौन पड़ेगा भारी?
दरअसल बडगाम में मुख्य मुकाबला नेशनल कॉन्फ्रेंस के महमूद और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के मुंतजिर (जो रूहुल्लाह के चचेरे भाई और महमूद के भतीजे हैं) और अवामी इत्तेहाद पार्टी के नजीर खान के बीच है। पीडीपी नेशनल कॉन्फ्रेंस के खिलाफ लोगों के गुस्से और रूहुल्लाह के अपनी ही पार्टी के खिलाफ रुख का फायदा उठाना चाहती है। खान इस निर्वाचन क्षेत्र में सुन्नी वोटों पर निर्भर हैं। दो राजनीतिक रूप से कमजोर चेहरे आम आदमी पार्टी की दीबा खान और एक निर्दलीय उम्मीदवार जिबरान डार भी चुनाव लड़ रहे हैं।
नगरोट में किसके बीच मुकाबला?
जम्मू के नगरोटा निर्वाचन क्षेत्र में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के बीच इस सीट को लेकर मतभेद था। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कांग्रेस को अपना उम्मीदवार उतारने का सुझाव दिया था, लेकिन राष्ट्रीय पार्टी ने इनकार कर दिया। पिछले विधानसभा चुनाव में विधायक देविंदर सिंह राणा के निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी। अब बीजेपी ने राणा की बेटी देवयानी को मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला नेशनल कॉन्फ्रेंस की शमीम बेगम से होगा।
कांग्रेस ने क्यों नहीं उतारा उम्मीदवार?
इस सीट पर कांग्रेस का उम्मीदवार पिछले चुनाव में तीसरे स्थान पर था। उनका कहना है कि वह नगरोटा से कोई उम्मीदवार नहीं उतारेगी ताकि बीजेपी यह सीट न जीत सके। इससे पहले राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने चार सीटों में से एक सुरक्षित सीट की मांग की थी। लेकिन नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कांग्रेस को चौथी असुरक्षित सीट की पेशकश की, जिसे कांग्रेस ने अस्वीकार कर दिया। इससे दोनों गठबंधन सहयोगियों के बीच की खाई और चौड़ी हो गई।
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