छिंदवाड़ा: जहरीले कफ सिरप से 24 मासूमों की जान जाने के बाद उम्मीद थी कि पुलिस की एसआईटी बड़ा धमाका करेगी। आरोपी रंगनाथन की गिरफ्तारी और दस दिन की रिमांड ने यही संकेत भी दिए थे। कहा जा रहा था, पुलिस चेन्नई जाकर तह तक पहुंचेगी, कंपनी के काले कारोबार का खुलासा करेगी। लेकिन दस दिन बीत गए, और नतीजा शून्य।
एसआईटी की टीम ने चेन्नई में रंगनाथन के ठिकानों से लेकर कंपनी के रिकॉर्ड तक खंगाले, पर जो सामने आया वह सब औषधि विभाग की रिपोर्ट में पहले ही दर्ज था। यानी पुलिस की मेहनत का असर कहीं नजर नहीं आ रहा। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या पुलिस की यह जांच भी “नौ दिन चले अढ़ाई कोस” साबित होने जा रही है?
अधिकारियों की खामोशी बढ़ा रही संदेह
जो अधिकारी सामान्य मामलों में मीडिया से खुलकर बात करते हैं, वही अब पूरी तरह खामोश हैं। प्रेस से दूरी और एसआईटी की ‘बंद दरवाजे की जांच’ ने जनता के मन में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या कुछ छिपाया जा रहा है? क्या जांच को सीमित दिशा में मोड़ा जा रहा है?
10 दिन की रिमांड, लेकिन क्या मिला सबूत?
सूत्रों के मुताबिक, पुलिस ने कंपनी से जुड़ी कई फाइलें, बिलिंग रिकॉर्ड और दवा उत्पादन के दस्तावेज जब्त किए हैं। लेकिन अब तक ऐसा कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला जो रंगनाथन को सीधे बच्चों की मौत से जोड़ सके। यानी सारी कवायद अब तक सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सिमटती दिख रही है।
लोगों में बढ़ा असंतोष, जवाब की प्रतीक्षा
चौबीस मासूमों की मौत के बाद लोग अब भी यह जानना चाहते हैं कि जिम्मेदार कौन है? हाई प्रोफाइल जांच की तमाम बातें हवा हो गई हैं। फिलहाल रंगनाथन न्यायिक हिरासत में जाने की तैयारी में है, लेकिन जिलेभर में यह चर्चा जोरों पर है कि क्या एसआईटी की जांच भी किसी बड़ी सच्चाई से मुंह मोड़ रही है?
एसआईटी की टीम ने चेन्नई में रंगनाथन के ठिकानों से लेकर कंपनी के रिकॉर्ड तक खंगाले, पर जो सामने आया वह सब औषधि विभाग की रिपोर्ट में पहले ही दर्ज था। यानी पुलिस की मेहनत का असर कहीं नजर नहीं आ रहा। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या पुलिस की यह जांच भी “नौ दिन चले अढ़ाई कोस” साबित होने जा रही है?
अधिकारियों की खामोशी बढ़ा रही संदेह
जो अधिकारी सामान्य मामलों में मीडिया से खुलकर बात करते हैं, वही अब पूरी तरह खामोश हैं। प्रेस से दूरी और एसआईटी की ‘बंद दरवाजे की जांच’ ने जनता के मन में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या कुछ छिपाया जा रहा है? क्या जांच को सीमित दिशा में मोड़ा जा रहा है?
10 दिन की रिमांड, लेकिन क्या मिला सबूत?
सूत्रों के मुताबिक, पुलिस ने कंपनी से जुड़ी कई फाइलें, बिलिंग रिकॉर्ड और दवा उत्पादन के दस्तावेज जब्त किए हैं। लेकिन अब तक ऐसा कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला जो रंगनाथन को सीधे बच्चों की मौत से जोड़ सके। यानी सारी कवायद अब तक सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सिमटती दिख रही है।
लोगों में बढ़ा असंतोष, जवाब की प्रतीक्षा
चौबीस मासूमों की मौत के बाद लोग अब भी यह जानना चाहते हैं कि जिम्मेदार कौन है? हाई प्रोफाइल जांच की तमाम बातें हवा हो गई हैं। फिलहाल रंगनाथन न्यायिक हिरासत में जाने की तैयारी में है, लेकिन जिलेभर में यह चर्चा जोरों पर है कि क्या एसआईटी की जांच भी किसी बड़ी सच्चाई से मुंह मोड़ रही है?
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