पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में एक उम्मीदवार ऐसा भी है जो डेढ़ करोड़ की नौकरी का ऑफर ठुकराकर चुनाव मैदान में उतर गया है। कांग्रेस के उम्मीदवार शशांत शेखर आईआईटी दिल्ली और आईआईएम कोलकाता से इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट के डिग्रीधारी हैं। पटना साहिब विधानसभा सीट पर उम्मीदवार शशांत शेखर का कहना है कि वे अपनी शिक्षा का इस्तेमाल जनता के लिए करना चाहते हैं। उन्होंने जर्मनी की एक बड़ी कंपनी सीमेंस की ओर से मिले डेढ़ करोड़ के पैकेज का ऑफर ठुकरा दिया क्योंकि वे देश छोड़ना नहीं चाहते थे। शशांत शेखर ने प्रशांत किशोर के साथ भी काम किया है। वे पटना में 80 हजार घरों में जनसंपर्क कर चुके हैं। उनका मुख्य चुनावी मुद्दा युवाओं के लिए बेहतर माहौल और शिक्षा में सुधार लाना है।
शशांत शेखर के अनुसार उनकी उम्मीदवारी पार्टी के सर्वे में मेरिट के आधार पर तय हुई है। कांग्रेस पिछले तीन सालों से उम्मीदवारों को मेरिट पर तैयार कर रही थी। शशांत शेखर अपनी शिक्षा का इस्तेमाल जनता के लिए करना चाहते हैं। उन्होंने आईआईटी के बाद स्टार्टअप शुरू किया था लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने एमबीए किया। जर्मनी की बड़ी कंपनी सीमेंस से उन्हें डेढ़ करोड़ रुपये के पैकेज का ऑफर मिला था, लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया क्योंकि वे देश नहीं छोड़ना चाहते थे।
शशांत के दादा ने लड़े थे चार चुनावशशांत शेखर की राजनीति में एंट्री उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि से जुड़ी है। उनके दादा चार बार चुनाव लड़ चुके हैं और उनके पिता भी व्यापार के साथ-साथ सामाजिक रूप से सक्रिय रहे हैं। राजनीति में आने से पहले उन्होंने प्रशांत किशोर की संस्था आई-पेक (IPAC) में तीन साल काम किया। साल 2022 में वे कांग्रेस में शामिल हुए और राहुल गांधी की यात्रा में भी उन्होंने काम किया। उन्होंने चुनावी रणनीतिकार सुनील कोनुगुलु के साथ भी काम किया है।
शशांत शेखर पिछले एक साल से पटना सिटी विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। वे अब तक इस विधानसभा के 80 हजार घरों तक पहुंच चुके हैं। उन्होंने 'आपका बेटा आपके द्वार' कार्यक्रम के माध्यम से हजारों लोगों से संपर्क किया है। उन्होंने लोगों की समस्याएं सुनीं, उनके वोटर कार्ड बनवाए और साढ़े छह हजार लोगों के नाम वोटर लिस्ट में जुड़वाए।
युवाओं के लिए माहौल और शिक्षा हैं मुद्देशशांत शेखर के अनुसार युवाओं के लिए बेहतर माहौल और अवसर बनाना उनका सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है। उनका मानना है कि बिहार में शिक्षा का स्तर बहुत नीचे चला गया है और इसमें सुधार लाना सबसे जरूरी है। वे पटना सिटी विधानसभा क्षेत्र में तेजी से विकास लाना चाहते हैं, जो पिछले 30 सालों से रुका हुआ है।
प्रशांत किशोर के बारे में शशांत शेखर का कहना है कि वे एक अच्छे पॉलिटिकल कंसल्टेंट हैं। हालांकि, उन्होंने प्रशांत किशोर के राजनीतिक दावों पर भी सवाल उठाए हैं। उनके मुताबिक प्रशांत किशोर बिहार को बदलने की बात करते हैं, मगर तब क्यों नहीं बदला जब उन्हें नीतीश कुमार ने अपना नंबर दो बनाया था? पीके को या तो बोलना नहीं चाहिए था कि चुनाव लडूंगा, और जब बोला था तो उन्हें चुनाव लड़ना चाहिए था।
शशांत शेखर के अनुसार उनकी उम्मीदवारी पार्टी के सर्वे में मेरिट के आधार पर तय हुई है। कांग्रेस पिछले तीन सालों से उम्मीदवारों को मेरिट पर तैयार कर रही थी। शशांत शेखर अपनी शिक्षा का इस्तेमाल जनता के लिए करना चाहते हैं। उन्होंने आईआईटी के बाद स्टार्टअप शुरू किया था लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने एमबीए किया। जर्मनी की बड़ी कंपनी सीमेंस से उन्हें डेढ़ करोड़ रुपये के पैकेज का ऑफर मिला था, लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया क्योंकि वे देश नहीं छोड़ना चाहते थे।
शशांत के दादा ने लड़े थे चार चुनावशशांत शेखर की राजनीति में एंट्री उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि से जुड़ी है। उनके दादा चार बार चुनाव लड़ चुके हैं और उनके पिता भी व्यापार के साथ-साथ सामाजिक रूप से सक्रिय रहे हैं। राजनीति में आने से पहले उन्होंने प्रशांत किशोर की संस्था आई-पेक (IPAC) में तीन साल काम किया। साल 2022 में वे कांग्रेस में शामिल हुए और राहुल गांधी की यात्रा में भी उन्होंने काम किया। उन्होंने चुनावी रणनीतिकार सुनील कोनुगुलु के साथ भी काम किया है।
शशांत शेखर पिछले एक साल से पटना सिटी विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। वे अब तक इस विधानसभा के 80 हजार घरों तक पहुंच चुके हैं। उन्होंने 'आपका बेटा आपके द्वार' कार्यक्रम के माध्यम से हजारों लोगों से संपर्क किया है। उन्होंने लोगों की समस्याएं सुनीं, उनके वोटर कार्ड बनवाए और साढ़े छह हजार लोगों के नाम वोटर लिस्ट में जुड़वाए।
युवाओं के लिए माहौल और शिक्षा हैं मुद्देशशांत शेखर के अनुसार युवाओं के लिए बेहतर माहौल और अवसर बनाना उनका सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है। उनका मानना है कि बिहार में शिक्षा का स्तर बहुत नीचे चला गया है और इसमें सुधार लाना सबसे जरूरी है। वे पटना सिटी विधानसभा क्षेत्र में तेजी से विकास लाना चाहते हैं, जो पिछले 30 सालों से रुका हुआ है।
प्रशांत किशोर के बारे में शशांत शेखर का कहना है कि वे एक अच्छे पॉलिटिकल कंसल्टेंट हैं। हालांकि, उन्होंने प्रशांत किशोर के राजनीतिक दावों पर भी सवाल उठाए हैं। उनके मुताबिक प्रशांत किशोर बिहार को बदलने की बात करते हैं, मगर तब क्यों नहीं बदला जब उन्हें नीतीश कुमार ने अपना नंबर दो बनाया था? पीके को या तो बोलना नहीं चाहिए था कि चुनाव लडूंगा, और जब बोला था तो उन्हें चुनाव लड़ना चाहिए था।
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