नई दिल्ली: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई ने रविवार को कहा कि कानूनी सहायता सिर्फ चैरिटी का काम नहीं है, बल्कि एक नैतिक कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि कानूनी सहायता आंदोलन में शामिल लोगों को देश के हर कोने तक कानून का राज पहुंचाने के लिए प्रशासनिक सोच के साथ अपनी भूमिका निभानी चाहिए। सीजेआई 'लीगल एड डिलीवरी मैकेनिज्म को मजबूत बनाने' पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के समापन समारोह और 'लीगल सर्विसेज़ डे' के सेलिब्रेशन के मौके पर बोल रहे थे।
देश के कोने तक पहुंचे कानून का राज
जस्टिस गवई ने कहा कि लीगल एड मूवमेंट में शामिल लोगों को, चाहे वे ऑफिसर हों, एडमिनिस्ट्रेटर हों या वॉलंटियर, सभी को अपने रोल को एडमिनिस्ट्रेटिव सोच के साथ निभाना चाहिए। लीगल एड सिर्फ चैरिटी का काम नहीं है, बल्कि एक नैतिक जिम्मेदारी है। यह गवर्नेंस का एक हिस्सा है, यह पक्का करने का एक तरीका है कि कानून का राज हमारे देश के हर कोने तक पहुंचे।
सीजेआई गवई ने NALSA और SLSAs में एक एडवाइजरी कमेटी बनाने का सुझाव दिया। इस कमेटी में मौजूदा एग्जीक्यूटिव चेयरपर्सन और भविष्य के दो या तीन एग्जीक्यूटिव हेड शामिल होंगे ताकि पॉलिसी प्लानिंग में निरंतरता बनी रहे। CJI ने आगे कहा कि उन्हें न्याय के एडमिनिस्ट्रेटर की तरह सोचना चाहिए, प्लानिंग करनी चाहिए, कोऑर्डिनेट करना चाहिए। साथ ही नए-नए तरीके अपनाने चाहिए ताकि यह पक्का हो सके कि खर्च किया गया हर रुपया, की गई हर विजिट और किया गया हर काम सच में किसी जरूरतमंद की मदद करे।
लीगज सर्विसेज अथॉरिटीज के लिए विजन
गवई ने कहा कि लीगल सर्विसेज अथॉरिटीज को लंबे समय के इंस्टीट्यूशनल विजन के साथ अपने प्रयासों को प्लान और एग्जीक्यूट करने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि अभी, प्राथमिकताएं अक्सर अलग-अलग एग्जीक्यूटिव चेयरपर्सन के कार्यकाल के हिसाब से तय होती हैं, जिनमें से हर किसी के पास पहल को लागू करने के लिए एक सीमित समय होता है। उन्होंने NALSA के 30 साल पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि इससे विचारों में डाइवर्सिटी तो आती है, लेकिन इससे कंटिन्यूटी और लगातार इम्प्लीमेंटेशन भी एक चुनौती बन जाता है।
देश के कोने तक पहुंचे कानून का राज
जस्टिस गवई ने कहा कि लीगल एड मूवमेंट में शामिल लोगों को, चाहे वे ऑफिसर हों, एडमिनिस्ट्रेटर हों या वॉलंटियर, सभी को अपने रोल को एडमिनिस्ट्रेटिव सोच के साथ निभाना चाहिए। लीगल एड सिर्फ चैरिटी का काम नहीं है, बल्कि एक नैतिक जिम्मेदारी है। यह गवर्नेंस का एक हिस्सा है, यह पक्का करने का एक तरीका है कि कानून का राज हमारे देश के हर कोने तक पहुंचे।
सीजेआई गवई ने NALSA और SLSAs में एक एडवाइजरी कमेटी बनाने का सुझाव दिया। इस कमेटी में मौजूदा एग्जीक्यूटिव चेयरपर्सन और भविष्य के दो या तीन एग्जीक्यूटिव हेड शामिल होंगे ताकि पॉलिसी प्लानिंग में निरंतरता बनी रहे। CJI ने आगे कहा कि उन्हें न्याय के एडमिनिस्ट्रेटर की तरह सोचना चाहिए, प्लानिंग करनी चाहिए, कोऑर्डिनेट करना चाहिए। साथ ही नए-नए तरीके अपनाने चाहिए ताकि यह पक्का हो सके कि खर्च किया गया हर रुपया, की गई हर विजिट और किया गया हर काम सच में किसी जरूरतमंद की मदद करे।
लीगज सर्विसेज अथॉरिटीज के लिए विजन
गवई ने कहा कि लीगल सर्विसेज अथॉरिटीज को लंबे समय के इंस्टीट्यूशनल विजन के साथ अपने प्रयासों को प्लान और एग्जीक्यूट करने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि अभी, प्राथमिकताएं अक्सर अलग-अलग एग्जीक्यूटिव चेयरपर्सन के कार्यकाल के हिसाब से तय होती हैं, जिनमें से हर किसी के पास पहल को लागू करने के लिए एक सीमित समय होता है। उन्होंने NALSA के 30 साल पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि इससे विचारों में डाइवर्सिटी तो आती है, लेकिन इससे कंटिन्यूटी और लगातार इम्प्लीमेंटेशन भी एक चुनौती बन जाता है।
You may also like

पश्चिम बंगाल में SIR के बाद सुसाइड... हुगली जिले में अब 27 वर्षीय महिला ने बेटी के साथ पिया कीटनाशक

हेलमेट भी नहीं बचा पाया जान, केरल के रहने वाले नौसेना के दो जवानों की भोपाल में सड़क दुर्घटना में मौत

Nexon का जलवा कायम, बैक-टू-बैक दूसरे महीने बनी टॉप सेलिंग, Dzire-Ertiga का हाल भी जान लीजिए

CBSE Exam 2026: सीबीएसई 10वीं-12वीं बोर्ड एग्जाम में होगी लाइव रिकॉर्डिंग, जानिए कहां-कहां लगे होंगे CCTV कैमरे

Poonam Pandey Sexy Video : हॉट मॉडल ने बिकिनी पहन स्विमिंग पूल में लगाई आग, सेक्सी वीडियो कर दिया शेयर




