भोपाल: चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश में सात फरवरी तक कलेक्टर, संयुक्त कलेक्टर, तहसीलदार और नायब तहसीलदार के तबादलों पर रोक लगा दी है। यह रोक मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया पूरी होने तक लागू रहेगी। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी संजीव झा ने मुख्य सचिव को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। इन अधिकारियों के तबादले बगैर अनुमति के नहीं हो सकेंगे।
तय समय पर होगा काम
मतदाता सूची के काम में जिला निर्वाचन अधिकारी और कलेक्टर, उप जिला निर्वाचन अधिकारी, रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (जॉइंट कलेक्टर या डिप्टी कलेक्टर), सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (तहसीलदार या नायब तहसीलदार) के तबादले एसआईआर की प्रक्रिया शुरू होने के बाद नहीं होंगे। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी विधानसभा क्षेत्र में रजिस्ट्रीकरण अधिकारी, सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी का पद रिक्त न रहे। इससे आयोग द्वारा तय समय-सीमा में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण की कार्यवाही निर्बाध रूप से पूरी हो सकेगी।
बीएलओ की कमी नहीं होगी
चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस काम में आवश्यक बीएलओ और सुपरवाइजर्स की कमी भी नहीं होनी चाहिए। कलेक्टर और राज्य शासन को इसका ध्यान रखना होगा। संभागायुक्तों को सीधे तौर पर तबादले से प्रतिबंधित नहीं किया गया है। हालांकि, मतदाता सूची के परीक्षण की पूरी प्रक्रिया की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी संभागायुक्तों को सौंपी गई है। इस कारण संभागायुक्त भी तबादले से बच सकते हैं।
इन अधिकारियों के हो सकते हैं तबादले
जिलों में पदस्थ अपर कलेक्टर स्तर के अधिकारी जो अपर कलेक्टर और सीईओ जिला पंचायत की जिम्मेदारी निभाते हैं, वे चुनाव आयोग के तबादला प्रतिबंध के दायरे में नहीं आएंगे। सरकार उनके तबादले कर सकती है। पुलिस अधीक्षक, आईजी और अन्य सीनियर आईपीएस अधिकारियों के तबादलों पर भी कोई रोक नहीं है। इसी तरह एसडीओपी, सीएसपी, डीएसपी स्तर के अधिकारी या टीआई भी तबादला प्रतिबंध में शामिल नहीं हैं।
मंत्रालय और विभिन्न विभागों में पदस्थ सीनियर आईएएस अफसरों के तबादले भी सरकार कर सकती है। इसका कारण यह है कि ये अधिकारी मतदाता सूची के रजिस्ट्रीकरण की कार्यवाही से सीधे तौर पर नहीं जुड़े हैं।
तय समय पर होगा काम
मतदाता सूची के काम में जिला निर्वाचन अधिकारी और कलेक्टर, उप जिला निर्वाचन अधिकारी, रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (जॉइंट कलेक्टर या डिप्टी कलेक्टर), सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (तहसीलदार या नायब तहसीलदार) के तबादले एसआईआर की प्रक्रिया शुरू होने के बाद नहीं होंगे। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी विधानसभा क्षेत्र में रजिस्ट्रीकरण अधिकारी, सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी का पद रिक्त न रहे। इससे आयोग द्वारा तय समय-सीमा में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण की कार्यवाही निर्बाध रूप से पूरी हो सकेगी।
बीएलओ की कमी नहीं होगी
चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस काम में आवश्यक बीएलओ और सुपरवाइजर्स की कमी भी नहीं होनी चाहिए। कलेक्टर और राज्य शासन को इसका ध्यान रखना होगा। संभागायुक्तों को सीधे तौर पर तबादले से प्रतिबंधित नहीं किया गया है। हालांकि, मतदाता सूची के परीक्षण की पूरी प्रक्रिया की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी संभागायुक्तों को सौंपी गई है। इस कारण संभागायुक्त भी तबादले से बच सकते हैं।
इन अधिकारियों के हो सकते हैं तबादले
जिलों में पदस्थ अपर कलेक्टर स्तर के अधिकारी जो अपर कलेक्टर और सीईओ जिला पंचायत की जिम्मेदारी निभाते हैं, वे चुनाव आयोग के तबादला प्रतिबंध के दायरे में नहीं आएंगे। सरकार उनके तबादले कर सकती है। पुलिस अधीक्षक, आईजी और अन्य सीनियर आईपीएस अधिकारियों के तबादलों पर भी कोई रोक नहीं है। इसी तरह एसडीओपी, सीएसपी, डीएसपी स्तर के अधिकारी या टीआई भी तबादला प्रतिबंध में शामिल नहीं हैं।
मंत्रालय और विभिन्न विभागों में पदस्थ सीनियर आईएएस अफसरों के तबादले भी सरकार कर सकती है। इसका कारण यह है कि ये अधिकारी मतदाता सूची के रजिस्ट्रीकरण की कार्यवाही से सीधे तौर पर नहीं जुड़े हैं।
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