नई दिल्ली: आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दोस्ती पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया है जबकि पाकिस्तान पर केवल 19% टैरिफ लगाया गया है। ऐसे में ट्रंप और मोदी की दोस्ती का क्या मतलब है? राजन ने साफ कहा कि अमेरिका भरोसे के लायक नहीं है और टैरिफ का यह पूरा मामला भारत के लिए काफी निराशाजनक रहा है। अमेरिका ने भारत पर 25% टैरिफ और रूस से तेल खरीदने पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगाया है।
बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक राजन ने शिकागो काउंसिल ऑन ग्लोबल अफेयर्स द्वारा आयोजित एक बातचीत में कहा, 'मुझे लगता है कि पिछले 20 साल में भारत अमेरिका के करीब आ रहा था और अब उसे बहुत निराशा हुई है। मैं नेताओं की बात नहीं कर रहा बल्कि मैं उन लोगों की बात कर रहा हूं जिन पर यह टैरिफ लगा है। मैं घाव पर नमक छिड़कना नहीं चाहता। लेकिन एक तरफ पाकिस्तान पर 19% टैरिफ है और दूसरी तरफ भारत पर 50%। मोदी और ट्रंप की दोस्ती का क्या हुआ जिसका इतना बखान किया गया था? यह मोदी के लिए एक झटके जैसा है क्योंकि भारत का विपक्ष उनसे पूछ रहा है 'आपकी दोस्ती कहां है?'
अमेरिका पर भरोसा
मोदी सरकार की नीतियों के धुर आलोचक रहे राजन ने कहा कि यह नहीं हो सकता है कि अमेरिका भारत पर सबसे ज्यादा टैरिफ लगाए और फिर सैन्य दोस्ती, गठजोड़ और संयुक्त युद्धाभ्यास जैसी बातें करे। राजन ने कहा, 'अमेरिका पर भरोसा नहीं किया जा सकता। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अमेरिका का झुकाव पाकिस्तान की ओर था। अमेरिका ने पाकिस्तान की मदद के लिए अपना सातवां बेड़ा भेजा था। भारतीय इससे बहुत नाराज थे और सोवियत संघ ने भारत की मदद की। इसने भारत को 25 साल के लिए सोवियत खेमे में डाल दिया।' उन्होंने आगे कहा कि भारत को उस खेमे से बाहर निकालने में बहुत समय लगा।
उन्होंने कहा कि भारत के पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं। उसकी सीमा चीन से लगती है जिसके साथ भारत के रिश्ते ठीक नहीं हैं। भारत चीन पर भरोसा नहीं करता है। भारत के बाजार चीनी माल से भरे पड़े हैं जो सरकार के लिए चिंता की बात है। भारत चीनी निवेश का स्वागत करता है लेकिन चीन पर निर्भर होने को लेकर थोड़ा सावधान रहना चाहता है। जापान, ऑस्ट्रेलिया और अन्य QUAD देशों के साथ भारत के अच्छे संबंध हैं, लेकिन वह अमेरिका के साथ भी एक रिश्ता बनाना चाहता था और उसे बहुत निराशा हुई।
छोटी कंपनियों की बड़ी मुश्किल
राजन ने कहा कि भारत पर 50% टैरिफ से विभिन्न उद्योगों को अलग-अलग तरह से प्रभावित किया है। ऐपल जैसी बड़ी कंपनियों पर भले ही कोई असर न हो लेकिन छोटी कंपनियों को 50% टैरिफ के साथ अमेरिका में अपने उत्पाद बेचना टिकाऊ नहीं लग रहा है। उन्होंने कहा, 'एक बार जब ये रिश्ते टूट जाते हैं तो उन्हें वापस बनाना मुश्किल होता है। आमतौर पर छोटे और मझोली कंपनियां ही इससे प्रभावित होंगी। यह मामला जितना लंबा चलेगा, उतनी मुश्किल बढ़ती जाएगी।'
बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक राजन ने शिकागो काउंसिल ऑन ग्लोबल अफेयर्स द्वारा आयोजित एक बातचीत में कहा, 'मुझे लगता है कि पिछले 20 साल में भारत अमेरिका के करीब आ रहा था और अब उसे बहुत निराशा हुई है। मैं नेताओं की बात नहीं कर रहा बल्कि मैं उन लोगों की बात कर रहा हूं जिन पर यह टैरिफ लगा है। मैं घाव पर नमक छिड़कना नहीं चाहता। लेकिन एक तरफ पाकिस्तान पर 19% टैरिफ है और दूसरी तरफ भारत पर 50%। मोदी और ट्रंप की दोस्ती का क्या हुआ जिसका इतना बखान किया गया था? यह मोदी के लिए एक झटके जैसा है क्योंकि भारत का विपक्ष उनसे पूछ रहा है 'आपकी दोस्ती कहां है?'
अमेरिका पर भरोसा
मोदी सरकार की नीतियों के धुर आलोचक रहे राजन ने कहा कि यह नहीं हो सकता है कि अमेरिका भारत पर सबसे ज्यादा टैरिफ लगाए और फिर सैन्य दोस्ती, गठजोड़ और संयुक्त युद्धाभ्यास जैसी बातें करे। राजन ने कहा, 'अमेरिका पर भरोसा नहीं किया जा सकता। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अमेरिका का झुकाव पाकिस्तान की ओर था। अमेरिका ने पाकिस्तान की मदद के लिए अपना सातवां बेड़ा भेजा था। भारतीय इससे बहुत नाराज थे और सोवियत संघ ने भारत की मदद की। इसने भारत को 25 साल के लिए सोवियत खेमे में डाल दिया।' उन्होंने आगे कहा कि भारत को उस खेमे से बाहर निकालने में बहुत समय लगा।
उन्होंने कहा कि भारत के पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं। उसकी सीमा चीन से लगती है जिसके साथ भारत के रिश्ते ठीक नहीं हैं। भारत चीन पर भरोसा नहीं करता है। भारत के बाजार चीनी माल से भरे पड़े हैं जो सरकार के लिए चिंता की बात है। भारत चीनी निवेश का स्वागत करता है लेकिन चीन पर निर्भर होने को लेकर थोड़ा सावधान रहना चाहता है। जापान, ऑस्ट्रेलिया और अन्य QUAD देशों के साथ भारत के अच्छे संबंध हैं, लेकिन वह अमेरिका के साथ भी एक रिश्ता बनाना चाहता था और उसे बहुत निराशा हुई।
छोटी कंपनियों की बड़ी मुश्किल
राजन ने कहा कि भारत पर 50% टैरिफ से विभिन्न उद्योगों को अलग-अलग तरह से प्रभावित किया है। ऐपल जैसी बड़ी कंपनियों पर भले ही कोई असर न हो लेकिन छोटी कंपनियों को 50% टैरिफ के साथ अमेरिका में अपने उत्पाद बेचना टिकाऊ नहीं लग रहा है। उन्होंने कहा, 'एक बार जब ये रिश्ते टूट जाते हैं तो उन्हें वापस बनाना मुश्किल होता है। आमतौर पर छोटे और मझोली कंपनियां ही इससे प्रभावित होंगी। यह मामला जितना लंबा चलेगा, उतनी मुश्किल बढ़ती जाएगी।'
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