शिमला : मध्यप्रदेश में जहरीली सीरप पीने से हुए 20 से ज्यादा बच्चों की मौत के बाद अब देशभर में दवाओं की गुणवत्ता को लेकर चिंता बढ़ गई है। सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) की रिपोर्ट ने देशभर से लिए 112 दवा सैम्प्लस को क्वालिटी टेस्ट में फेल पाया है। इन सैम्प्लस में 49 सिर्फ हिमाचल प्रदेश से हैं, जिसमें दो खांसी की दवाएं भी शामिल हैं।
एक दवा टेस्ट के बाद नकली घोषित
सीडीएससीओ की सितंबर महीने की रिपोर्ट के अनुसार, तीन खांसी की दवाओं के सैम्प्लस 'मानक गुणवत्ता के नहीं' पाए गए है। वहीं एक दवा को परीक्षण के बाद नकली घोषित कर दिया गया। सेंट्रल रेगुलेटरी बॉडी दवाओं को मंजरी देती है, उन पर बैन लगाती है और दवाओं की गुणवत्ता जांचने के लिए हर महीने प्रयोगशाला परीक्षण भी करती है। हिमाचल प्रदेश से जिन दो खांसी की दवाओं के सैम्प्लस फेल हुए हैं, उनमें सिरमौर जिले में साईटेक मेडीकेयर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बनाई गई एंब्रॉक्सोल दवा है और नक्सपार फार्मा प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बनाई गई एंब्रॉक्सोल एचसीआई शामिल हैं। ये दोनो दवाएं बलगम वाली खांसी के इलाज में इस्तेमाल होती हैं।
रायपुर की खांसी की दवा भी मिली नकली
इसके अलावा उत्तराखंड के हरिद्वार में ओम बॉयोमेडिक प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बनाई गई नोस्कापीन भी टेस्ट में पास नहीं हो सकी। यह दवाई सूखी खांसी के इलाज में काम आती है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ के रायपुर में बनी बेस्टो-कॉफ नाम की सूखी खांसी की दवा को नकली पाया गया है। छत्तीसगढ़ में राज्य दवा प्रयोगशाला ने भी सितंबर की अपनी टेस्ट रिपोर्ट में 10 दवाओं को 'मानक गुणवत्ता की नहीं' और एक को 'नकली' घोषित किया है। जिनमें एल्बेंडाजोल के चार बैच और एमोक्सिसिलिन की एक गोली शामिल है।
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