नई दिल्ली: वोडाफोन-आइडिया (Vi) को एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। अब भारती एयरटेल भी एजीआर मामले में राहत के लिए फिर से सरकार से संपर्क करेगी। भारती एयरटेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कंपनी सरकार से एजीआर बकाए का फिर से आकलन और मिलान करने का अनुरोध करेगी।
सरकार के मुताबिक, देश की दूसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल पर 31 मार्च तक 48,103 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह रकम ब्याज जुड़ने से और बढ़ गई है। जब सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया था, तब दूरसंचार विभाग (DoT) के अनुसार एयरटेल पर 44,000 करोड़ रुपये का बकाया था, जबकि कंपनी का अपना आकलन 13,000 करोड़ रुपये था। एयरटेल अब तक 18,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है, जिसमें 5,000 करोड़ रुपये की एक अंतरिम (ad-hoc) राशि भी शामिल है।
क्या कहा कंपनी ने?भारती एयरटेल के वाइस चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर गोपाल विट्टल ने कहा, 'हमने हमेशा कहा है कि साल 2019 का एजीआर फैसला इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा झटका था। यह और भी निराशाजनक था कि गणना की गलतियों को भी स्वीकार नहीं किया गया।' उन्होंने कहा, 'हमें खुशी है कि कोर्ट ने एजीआर देनदारियों के मिलान की अनुमति दी है। अब हम इसे एक-एक करके आगे बढ़ाएंगे। सबसे पहले, हम सरकार से संपर्क करेंगे और यह काम कंपनी आने वाले दिनों में करेगी। उसके बाद हम आगे की रणनीति तय करेंगे।'
साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था। कोर्ट ने एजीआर की व्यापक परिभाषा को बरकरार रखा था, जिसमें टेलीकॉम कंपनियों द्वारा अर्जित सभी तरह की आय शामिल थी, न कि केवल टेलीकॉम से होने वाली आय। इस फैसले के कारण टेलीकॉम कंपनियों पर भारी भरकम बकाया हो गया था।
सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुकी है याचिकाइससे पहले कंपनी ने ब्याज, जुर्माने और जुर्माने पर ब्याज के रूप में 34,745 करोड़ रुपये के एजीआर बकाए को माफ करने की मांग की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था।
कंपनी ने दूरसंचार विभाग (DoT) को यह भी लिखा था कि क्या उसके पास लंबित एजीआर बकाए को इक्विटी में बदलने का विकल्प है। यह कदम सरकार द्वारा वोडाफोन आइडिया के 39,000 करोड़ रुपये से अधिक के स्पेक्ट्रम बकाए को इक्विटी में बदलने के बाद उठाया गया था।
वोडा-आइडिया को क्या मिली राहत?इस सप्ताह की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने भारती एयरटेल की प्रतिद्वंद्वी वोडाफोन आइडिया को बड़ी राहत दी थी। कोर्ट ने कंपनी को राहत देते हुए केंद्र सरकार को नकदी संकट से जूझ रही इस टेलीकॉम कंपनी के कुल 83,400 करोड़ रुपये के एजीआर बकाए के लिए एक विशेष पैकेज बनाने की अनुमति दी थी।
विश्लेषक कॉल के दौरान विट्टल ने यह भी बताया कि कंपनी ने इंडस टावर्स में अपनी इक्विटी हिस्सेदारी को मौजूदा 51% से बढ़ाकर 5% करने की अनुमति मांगी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एयरटेल अपनी डेटा सेंटर सहायक कंपनी नेक्स्ट्रा को इंडस टावर्स में विलय करने की कोई योजना नहीं बना रही है, क्योंकि दोनों के बिजनेस मॉडल अलग-अलग हैं।
सरकार के मुताबिक, देश की दूसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल पर 31 मार्च तक 48,103 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह रकम ब्याज जुड़ने से और बढ़ गई है। जब सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया था, तब दूरसंचार विभाग (DoT) के अनुसार एयरटेल पर 44,000 करोड़ रुपये का बकाया था, जबकि कंपनी का अपना आकलन 13,000 करोड़ रुपये था। एयरटेल अब तक 18,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है, जिसमें 5,000 करोड़ रुपये की एक अंतरिम (ad-hoc) राशि भी शामिल है।
क्या कहा कंपनी ने?भारती एयरटेल के वाइस चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर गोपाल विट्टल ने कहा, 'हमने हमेशा कहा है कि साल 2019 का एजीआर फैसला इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा झटका था। यह और भी निराशाजनक था कि गणना की गलतियों को भी स्वीकार नहीं किया गया।' उन्होंने कहा, 'हमें खुशी है कि कोर्ट ने एजीआर देनदारियों के मिलान की अनुमति दी है। अब हम इसे एक-एक करके आगे बढ़ाएंगे। सबसे पहले, हम सरकार से संपर्क करेंगे और यह काम कंपनी आने वाले दिनों में करेगी। उसके बाद हम आगे की रणनीति तय करेंगे।'
साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था। कोर्ट ने एजीआर की व्यापक परिभाषा को बरकरार रखा था, जिसमें टेलीकॉम कंपनियों द्वारा अर्जित सभी तरह की आय शामिल थी, न कि केवल टेलीकॉम से होने वाली आय। इस फैसले के कारण टेलीकॉम कंपनियों पर भारी भरकम बकाया हो गया था।
सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुकी है याचिकाइससे पहले कंपनी ने ब्याज, जुर्माने और जुर्माने पर ब्याज के रूप में 34,745 करोड़ रुपये के एजीआर बकाए को माफ करने की मांग की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था।
कंपनी ने दूरसंचार विभाग (DoT) को यह भी लिखा था कि क्या उसके पास लंबित एजीआर बकाए को इक्विटी में बदलने का विकल्प है। यह कदम सरकार द्वारा वोडाफोन आइडिया के 39,000 करोड़ रुपये से अधिक के स्पेक्ट्रम बकाए को इक्विटी में बदलने के बाद उठाया गया था।
वोडा-आइडिया को क्या मिली राहत?इस सप्ताह की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने भारती एयरटेल की प्रतिद्वंद्वी वोडाफोन आइडिया को बड़ी राहत दी थी। कोर्ट ने कंपनी को राहत देते हुए केंद्र सरकार को नकदी संकट से जूझ रही इस टेलीकॉम कंपनी के कुल 83,400 करोड़ रुपये के एजीआर बकाए के लिए एक विशेष पैकेज बनाने की अनुमति दी थी।
विश्लेषक कॉल के दौरान विट्टल ने यह भी बताया कि कंपनी ने इंडस टावर्स में अपनी इक्विटी हिस्सेदारी को मौजूदा 51% से बढ़ाकर 5% करने की अनुमति मांगी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एयरटेल अपनी डेटा सेंटर सहायक कंपनी नेक्स्ट्रा को इंडस टावर्स में विलय करने की कोई योजना नहीं बना रही है, क्योंकि दोनों के बिजनेस मॉडल अलग-अलग हैं।
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