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क्या होता है शिनरिन-योकू? जापान के एजुकेशन सिस्टम की अनोखी चीज, जो जिंदगी खूबसूरत बना देती है

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भारत के स्कूल कॉलेजों में नई शिक्षा नीति 2020 के तहत बदलाव हो रहे हैं। नए करिकुलम में प्रैक्टिकल लर्निंग को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है। दुनिया के कई देशों में ये प्रैक्टिस पहले से की जा रही है। रट्टा मारने से ज्यादा सीखने और अपनी ओवरऑल पर्सनालिटी डेवलप करने पर जोर। स्टूडेंट्स को सीखने सिखाने और उनका जीवन खूबसूरत बनाने के लिए जापान में एक लाइफ कॉन्सेप्ट को जापानी शिक्षा व्यवस्था का हिस्सा बनाया गया। इसे शिनरिन योकू कहते हैं। शिक्षा मंत्रालय के पूर्व डायरेक्टर जय प्रकाश पाण्डेय ने इसके बारे में बताया है।

भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 गुणवत्ता शिक्षा और समग्र विकास की संकल्पना के साथ 21वीं सदी की जरूरतों के हिसाब से छात्रों को तैयार करने का दिशानिर्देश करती है। हमारे गुरुकुलों में आदिकाल से ही ज्ञान-विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में असंख्य प्रयोग होते रहे हैं। शिक्षा में वास्तविक अनुभवों का उपयोग अत्यावश्यक है। प्रकृति का विशाल प्रांगण इसके लिए सर्वोत्तम अवसर उपलब्ध कराता है।

सिनरिन-योकु क्या है?जापानी शिक्षा व्यवस्था में वास्तविक जीवन पर आधारित गतिविधि ‘सिनरिन-योकु’ का प्रचलन है। सिनरिन का अर्थ है- वन, और योकु का मतलब है- स्नान, यानी वन-स्नान। बच्चों को अपने आस-पास के पार्क, झील, पहाड़, समुद्र, खेत-खलिहान पर ले जाया जाता है, जहां वे प्रकृति को स्वाभाविक रूप से फील करें, सुनें और देखें। इन सबसे शरीर, मन, दिमाग का प्रकृति से एक संबंध स्थापित होता है, जिससे बच्चों के संज्ञानात्मक विकास को बढ़ावा मिलता है।


पहाड़-पगडंडीपुस्तक पगडंडी में एक यात्रा वृतांत है, जिसमें उत्तराखंड के पर्वतीय अंचलों, झरने, उछलते-कूदते नदी-नाले, इतिहास, भूगोल, लोक-संस्कृति और वहां के सीधे-सादे लोगों की कहानी है। हिमालय की वादियों का एक-एक पत्थर बोलता है। चीड़, देवदार के पेड़ों की प्रत्येक पत्ती शरारत करती है और इसकी हरियाली आप में प्राण डाल देती है। यात्रा के इस क्रम में छात्रों ने इसे महसूस किया है, जो पुस्तक के माध्यम से पाठकों तक भी पहुंचता है।


विंटर लाइनइस पुस्तक में दृश्यों का पूरा कैनवस पठनीय एवं रोचक है। पहाड़ों की रानी मसूरी से लेकर नाग-टिब्बा, मुनस्यारी, चारधाम यात्रा और फूलों की घाटी तक एक अविस्मरणीय दुनिया है। मसूरी में जाड़ों की शाम में क्षितिज पर लाल रंग की गहरी रेखा पूरे आसमान पर फैल जाती है, जिसे विंटर लाइन के नाम से जानते हैं। स्विट्जरलैंड और मसूरी में ही विंटर लाइन का मनमोहक नजारा देखा जा सकता है।

कक्षा से बाहरपगडंडियां मन के कोमल तंतुओं को छूती हैं। इससे बच्चे जल्दी सीखते हैं। लर्निंग आउटकम प्राप्त करने के लिए शिक्षा में कला-एकीकरण, खेल, खिलौनों और प्रकृति को नवीन शिक्षण-पद्धति के रूप में प्रयोग करने की आवश्यकता है। क्लासरूम से बाहर भी बच्चों को सिखाने का प्रयास होना चाहिए। सभी विषय एक-दूसरे से संबंधित हैं, जो जीवन और समाज के अनेक पहलुओं को जोड़ने का काम करते हैं।

सर्वोत्तम रास्ताप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गतिविधि आधारित शिक्षण में 5E- इंगेज, एक्सप्लोर, एक्सपीरिएंस, एक्सप्रेस और एक्सेल का मंत्र दिया है। बच्चे रुचि के हिसाब से विभिन्न गतिविधियों में इंगेज हों, एक्सप्लोर करें। इन गतिविधियों एवं घटनाओं को विभिन्न दृष्टिकोण से अनुभव से सीखें। फिर रचनात्मक तरीके से अभिव्यक्त करना सीखें। इन सब को मिला कर ही सर्वोत्तम बनने का रास्ता बनता है।
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