बागेश्वर, 1 सितंबर . उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के पैसानी गांव में 34 साल बाद आई भीषण आपदा ने ग्रामीणों की जिंदगी तहस-नहस कर दी है. भारी बारिश और बादल फटने की घटना ने गांव को पूरी तरह तबाह कर दिया.
खेत-खलिहान, पशु-चारा व्यवस्था और बुनियादी ढांचा ध्वस्त हो चुका है. कनलगढ़ घाटी के एक दर्जन से अधिक गांवों में बिजली, पानी और सड़क संपर्क टूट गया है. 14 पैदल पुल बह चुके हैं, जिससे ग्रामीणों का बाहरी दुनिया से संपर्क कट गया है. आपदा प्रभावित लोग कैंप बैसानी में शरण लिए हुए हैं. लेकिन, भय और अनिश्चितता के बीच वे अपने गांव लौटने को तैयार नहीं हैं.
जिला पंचायत सदस्य बलवंत आर्या ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि 28 तारीख को हुई मूसलाधार बारिश ने दो परिवारों को पूरी तरह तबाह कर दिया. इन परिवारों के पांच लोगों की मौत हो गई, जिनमें से तीन शव बरामद हुए हैं. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लापता लोगों की तलाश में जुटी हैं.
उन्होंने कहा, “हालात इतने खराब हैं कि न पीने का पानी है, न बुनियादी जरूरतें पूरी हो रही हैं. पूरा बुनियादी ढांचा चरमरा गया है.”
ग्रामीणों की एकमात्र मांग है कि उन्हें सुरक्षित स्थान पर विस्थापित किया जाए. आर्या ने Prime Minister और Chief Minister से अपील की कि प्रभावित लोगों को तुरंत दूसरी जगह बसाया जाए.
पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य हीरा सिंह बघरी ने भी प्रशासन से शीघ्र विस्थापन की मांग की. उन्होंने कहा, “14 पुल बह चुके हैं. बादल फटने से प्रभावित लोग डरे हुए हैं. आने वाले दिनों में और खतरे हो सकते हैं. प्रशासन हमें सुरक्षित जगह पर ले जाए, ताकि हम सामान्य जिंदगी जी सकें.”
आपदा प्रभावित ग्रामीण देव राम ने पत्रकारों से बातचीत में अपना दर्द बयां किया. उन्होंने कहा, “हमें न कपड़े चाहिए, न भोजन. सब कुछ तबाह हो चुका है. प्रशासन भोजन दे रहा है, लेकिन हम उसे बनाकर कहां खाएं? लोग कहते हैं कि दूसरी जगह जाओ, वहां सब मिलेगा, लेकिन इससे हमारी सारी जरूरतें पूरी नहीं होंगी.”
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एसएचके/एबीएम
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