New Delhi, 17 अगस्त . आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत और मालदीव के बीच द्विपक्षीय व्यापार पिछले सात वर्षों में तीन गुना से अधिक बढ़ा है, जो कि 2017-18 में 22.3 करोड़ डॉलर से बढ़कर 2024-25 में 68 करोड़ डॉलर हो गया है.
भारत का मालदीव को निर्यात वित्त वर्ष 2017-18 में 21.7 करोड़ डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 56.1 करोड़ डॉलर हो गया, जबकि इसी अवधि के दौरान मालदीव से आयात 60 लाख डॉलर से बढ़कर 11.9 करोड़ डॉलर हो गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पिछले महीने द्वीपीय देश की अपनी हालिया यात्रा के दौरान मालदीव को 4,850 करोड़ रुपए की ऋण सहायता की घोषणा के साथ, दोनों देशों के बीच व्यापार में वृद्धि होने की उम्मीद है.
इसके अतिरिक्त, प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की कि दोनों देशों के बीच एक मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा भी शुरू हो गई है.
भारत ने मालदीव में रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा देने का फैसला किया है और इस क्षेत्र में अपने अनुभव हिंद महासागर के पड़ोसी देश के साथ साझा करेगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के निमंत्रण पर मालदीव का दौरा किया और देश के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. यह मुइज्जू सरकार के साथ संबंधों में बदलाव का भी प्रतीक था, जो 2023 में सत्ता में आई थी.
द्विपक्षीय संबंधों में यह बदलाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू, जिन्हें चीन का करीबी माना जाता है, विपक्ष में रहते हुए भारत विरोधी बयानबाजी के लिए जाने जाते थे, जो पिछली सरकार को हटाने की उनकी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा था.
मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के प्रमुख समुद्री पड़ोसियों में से एक है और रक्षा एवं सुरक्षा के क्षेत्रों सहित समग्र द्विपक्षीय संबंधों में माले की पिछली सरकारों के कार्यकाल में लगातार वृद्धि देखी गई.
यह भावना भारत की नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी और महासागर दृष्टिकोण में अंतर्निहित है, जो इस क्षेत्र की सुरक्षा और समृद्धि को अविभाज्य मानता है.
भारत का दृष्टिकोण इस विश्वास पर आधारित है कि छोटे द्वीपीय देश वैश्विक मामलों में गौण भूमिकाएं नहीं निभाते लेकिन जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई में अग्रणी राष्ट्र, महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों के संरक्षक और समुद्री सुरक्षा में भागीदार हैं. मालदीव, भारत की हिंद महासागर रणनीति में एक केंद्रीय स्थान रखता है.
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