सुल्तानपुर, 7 नवंबर . उत्तर प्रदेश में सुल्तानपुर के ढेसरुवा गांव के दलित मोची रामचैत उस समय सुर्खियों में आए थे, जब Lok Sabha में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने उनको जूता बनाने वाली मशीन उपहार में दी थी. वहीं, आज के समय में उनका कारोबार प्रभावित हो रहा है क्योंकि रामचैत कैंसर से पीड़ित हैं. रामचैत के बेटे ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से बड़े शहर में उचित इलाज के लिए आग्रह किया है. इस दौरान उन्होंने आर्थिक मदद की अपील भी की.
राहुल गांधी द्वारा उत्तर प्रदेश में एक दलित कारीगर के लिए सशक्तीकरण का प्रचारित इशारा उपेक्षा का प्रतीक बन गया है.
राहुल गांधी दलितों और हाशिए पर पड़े समुदायों के उत्थान के वादों के साथ बिहार चुनाव अभियान को गति दे रहे हैं, वहीं उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के कैंसर से पीड़ित रामचैत मोची की कहानी कुछ अलग ही बयां कर रही है.
साल 2023 में जब राहुल गांधी ने सुल्तानपुर क्षेत्र में एक जनसंपर्क अभियान के दौरान, ढेसरुवा गांव के 58 वर्षीय दलित मोची रामचैत को जूता बनाने की मशीन भेंट की थी.
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इस उपहार को आत्मनिर्भरता का एक प्रमुख उदाहरण बताया, जिसका उद्देश्य आर्थिक तंगी से जूझ रहे पारंपरिक कारीगरों की आजीविका को मजबूत करना था.
इसकी तस्वीरें social media पर व्यापक रूप से प्रसारित हुईं और इसे समावेशी विकास का एक उदाहरण बताया गया.
वहीं, आज वह मशीन रामचैत की साधारण झोपड़ी के एक कोने में धूल से ढकी है. रामचैत के 28 वर्षीय बेटे और परिवार के एकमात्र कमाने वाले राघव मोची ने के साथ एक हृदय विदारक घटना को साझा किया.
राघव ने कहा कि यह मशीन एक अच्छा विचार था, लेकिन यह कभी कारगर नहीं हुई. जब यह आई थी, तब मेरे पिता पहले से ही स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे और अब वे कैंसर के कारण बिस्तर पर हैं. दो साल पहले गले के कैंसर का पता चलने के बाद, रामचैत की हालत तेजी से बिगड़ती गई.
राघव की मामूली दिहाड़ी पर गुजारा करने वाला यह परिवार कंगाली के कगार पर है. ये लोग अच्छे दिनों में भी 200-300 रुपए से ज्यादा नहीं कमा पाते हैं. राघव ने राहुल गांधी से कुछ आर्थिक मदद की गुहार लगाई है.
ने रामचैत से संपर्क किया तो उन्होंने कहा, “मशीन… अब बेकार है. हर तरफ दर्द है. अगर राहुल जी को हमारी याद आ जाए, तो अस्पताल के लिए बस थोड़ी मदद कर दीजिए.”
ग्राम प्रधान अरशद ने कहा कि रामचैत का मामला दुखद है. मशीन प्रतीकात्मक थी, लेकिन प्रतीक कैंसर का इलाज नहीं करते. उसे उचित इलाज की जरूरत है. शायद दिल्ली या Mumbai में सुविधाएं बेहतर मिल जाएंगी. जिस नेता ने उसे सुर्खियों में रखा था, उससे आर्थिक मदद बहुत मददगार साबित होगी. हमने स्थानीय कांग्रेस प्रतिनिधियों को पत्र लिखा है, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है.
–
एएसएच/एबीएम
You may also like

एक गलती और आधी दुनिया साफ! इन 5 बातों का रखते हैं ध्यान, फिर होती है न्यूक्लियर बम की टेस्टिंग

नरपतगंज के मानिकपुर में समर्थकों ने राजद प्रत्याशी को दूध से नहलाया

क्या Ben Stokes इंटरनेशनल लीजेंड से भी बड़ा आईपीएल सुपरस्टार बन सकते थे?

'पहले चरण में जंगलराज वालों को 65 वोल्ट का झटका', PM मोदी बोले-बिहार का बच्चा अब रंगदार नहीं; इंजीनियर-डॉक्टर बनेगा

Train Rules- क्या पालतू जानवर के साथ ट्रेन में यात्रा कर सकते हैं, आइए जानें पूरी डिटेल्स




