कहा जाता है मौत पर किसी का वश नही चलता, कई बाद व्यक्ति मरना चाहता है तो उसे मौत नही आती और जो जीना चाहता है उसे काल अपने साथ ले जाता है। काल की गति कोई भी नही समझ सकता है। कभी कभी जीवन में ऐसी घटनाएं घटित हो जाती है जिनकी कल्पना भी नही की गई हो। और किसी परिवार का जीवन पूरी तरह बदल जाता है। आज हम आपको एक ऐसे ही साहसी व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे है। जिसने अपनी मानवता और निस्वार्थ सेवा से मानव जाति को एक सीख दी।
आज हम जिस घटना के बारे में बताने जा रहे हैं वह मध्यप्रदेश के भोजपुर में घटित हुई है। यह पर बेतवा नदी के किनारे एक बुजुर्ग अपने खेत मे काम कर रहे थे,इनका नाम यदुनाथ था। जिस समय वो अपने खेत मे काम कर रहे थे उसी समय उन्हें किसी के चिल्लाने की आवाज सुनाई दी,उन्होंने देखा तो उनको कोई नही दिखा। इसके बाद वो फिर से अपने कामों में लग गए मगर उन्हें फिर किसी के चीखने की आवाज सुनाई दी। इस बार उन्होंने देखा कि बेतवा नदी में कोई डूब रहा है।
यदुनाथ ने देखा तो वहाँ एक लड़की नदी में डूब रही थी। यदुनाथ बेतवा में उस लड़की को बचाने ले लिए कूद पड़े। यदुनाथ खुद कमजोर होते हुए भी उस लड़की को बचा कर किनारे ले आये मगर बेतवा की लहरों से खुद को नही बचा पाए। मौके पर और भी लोग इक्कठा हो गए,यदुनाथ को नदी से निकाल लिया गया और इन दोनों को स्थानीय लोग हॉस्पिटल लेकर भागे। वहां जाकर डॉक्टर ने यदुनाथ को मृत्य घोषित कर दिया। यदुनाथ के घर पर उनकी पत्नी और 6 साल का बेटा है उन्हें जब यह खबर मिली दोनो का रो रो कर बुरा हाल हो गया। जिस लड़की को उन्होंने बचाया वो बच गई उसका नाम अंजली तिवारी है। उसके घर वालों को भी इस बात की खबर की गई। ये खबर आप हिमाचली खबर में पढ़ रहे हैं। । लड़की ने बताया कि माँ से हुए झगड़े के बाद वो मरने के लिए नदी में कूद गई थी।
लोगों ने लड़की को यदुनाथ की मौत का जिम्मेदार बताया और उसे बुराभला भी कहा। लड़की भी यह देख कर बहुत रो रही थी कि उसको बचाने में एक व्यक्ति ने अपने प्राण खो दिए। लड़की के पिता ने यदुनाथ के अंतिम संस्कार का इंतजाम किया,और ठीक तरीके से उनका क्रिया कर्म करवाया।
अंजली भी खुद को यदुनाथ की मौत का जिम्मेदार थी। वे अपने पिता अशोक तिवारी की एकल संतान हैं और राजीव गांधी प्रिद्योगिकी विश्विद्यालय में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करती थी। पढ़ाई पूरी होने के बाद अंजली को बैंगलौर के एक बड़ी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में जॉब मिल गई। यदुनाथ के निधन के 7 वर्ष बाद जॉब मिलते ही अंजली सबसे पहले उनके घर पहुँची,वहां उनके बीवी बच्चे की हालत ठीक नही थी। अंजली उन दोनों को अपने साथ बैंगलोर ले गई। वहां उन्होंने इन दोनो के लिए एक घर लिया और अपने भी उन दोनों के साथ रहने लगीं। आज यदुनाथ के बेटे रोहित भी मम्बई के कम्पनी में काम करते हैं और यदुनाथ और अंजली का परिवार एक साथ ही रहता है। अपनी उस गलती को अंजिली आज भी नही भूल पाई है जिसके कारण यदुनाथ का निधन हुआ।
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