हिंदू पौराणिक कथाओं में मृत्यु को जीवन का एक अनिवार्य सत्य माना जाता है। जब कोई व्यक्ति अपनी जीवन यात्रा समाप्त करता है, तो उसकी अंतिम यात्रा, जिसे शव यात्रा कहा जाता है, निकाली जाती है। बहुत से लोग यह नहीं जानते कि इस यात्रा के दौरान 'राम नाम सत्य है' का उच्चारण किया जाता है। आइए, इस लेख में इसके पीछे के अर्थ को समझते हैं।
हिंदू परंपरा के अनुसार, अंतिम संस्कार के समय 'राम नाम सत्य' का उच्चारण करना आवश्यक होता है। इसका एक कारण महाभारत के पात्र धर्मराज युधिष्ठिर का एक श्लोक है, जिसमें उन्होंने कहा था कि मनुष्य मरते हैं, लेकिन उनके परिजन केवल संपत्ति की चाह रखते हैं। इससे बड़ा आश्चर्य और क्या हो सकता है?
इसलिए, 'राम नाम सत्य' कहना शव को ले जाने वाले लोगों को यह बताने के लिए होता है कि हम इस जीवन में अकेले आए थे और अकेले ही जाएंगे। मनुष्य के जीवन का वास्तविक सत्य केवल प्रभु राम हैं।
यह श्लोक है: 'अहन्यहनि भूतानि गच्छंति यमममन्दिरम्। शेषा विभूतिमिच्छंति किमाश्चर्य मत: परम्।'
युधिष्ठिर का उद्देश्य यह था कि जब हम शव को शमशान घाट ले जाते हैं, तब हम राम का नाम लेते हैं, लेकिन वहां से लौटते समय हम सभी भौतिक चीजों की चिंता करने लगते हैं।
यह पंक्ति यह दर्शाती है कि शव यात्रा के दौरान एक व्यक्ति अपनी जीवन यात्रा समाप्त कर रहा होता है, जबकि अन्य लोग जीवन जी रहे होते हैं। 'राम नाम सत्य है' का अर्थ है कि जीवन में जो कुछ भी हमने प्राप्त किया है, वह सब यहीं छूट जाता है। अंत में, केवल राम नाम ही शेष रह जाता है।
इस प्रकार, यह समझना महत्वपूर्ण है कि शव यात्रा के दौरान 'राम नाम सत्य' का उच्चारण क्यों किया जाता है। यदि आप इस विषय पर और जानकारी चाहते हैं, तो कृपया कमेंट सेक्शन में अपने सवाल पूछें।
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