आजकल, हम सभी तेजी से जीवन जी रहे हैं, जिससे तनाव, अस्वस्थ खान-पान और जीवनशैली से जुड़ी समस्याएं गंभीर बीमारियों का कारण बन रही हैं। कैंसर, गठिया, लिवर और किडनी की समस्याएं अब आम हो गई हैं। इस संदर्भ में, सोशल मीडिया और इंटरनेट पर कई लोग एक 'चमत्कारी उपाय' का जिक्र करते हैं, जो सभी बीमारियों का इलाज कर सकता है। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा कोई उपाय है?
गेहूँ के ज्वारे का महत्व
गेहूँ के दानों से उगने वाले पहले पत्ते को ज्वारा कहा जाता है। नवरात्रि जैसे त्योहारों पर इसे मिट्टी के छोटे बर्तनों में बोया जाता है। गेहूँ के ज्वारे का रस, प्रकृति के अद्भुत औषधियों का भंडार है। इसे विदेशी जीववैज्ञानिकों ने 'हरा लहू' का नाम दिया है। डॉ. एन. विगमोर ने इस रस से कई गंभीर बीमारियों का सफल इलाज किया है।
इस रस के माध्यम से 350 से अधिक रोगों के उपचार के अद्भुत परिणाम सामने आए हैं। यह शरीर के लिए एक शक्तिशाली टॉनिक है, जिसमें सभी आवश्यक विटामिन, खनिज और प्रोटीन मौजूद हैं।
बीमारियों से राहत
कैंसर, मूत्राशय की पथरी, हृदयरोग, लिवर, डायबिटीज, पीलिया, लकवा, दमा, पेट की समस्याएं, गठिया, त्वचा की एलर्जी, और अन्य कई रोगों में ज्वारे का रस लाभकारी सिद्ध हुआ है। कई लोगों ने इसे अपनी दैनिक खुराक में शामिल करके चमत्कारी लाभ प्राप्त किया है।
गेहूँ के ज्वारे उगाने की विधि
गेहूँ के ज्वारे उगाने के लिए मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करें। रासायनिक खाद का प्रयोग न करें। पहले दिन एक बर्तन में गेहूँ बोएं और उसे पानी दें। हर दिन एक नया बर्तन भरें। नौवें दिन पहले बर्तन के ज्वारे काटकर उपयोग करें।
ज्वारे को काटने के बाद तुरंत धोकर कूटें और रस निकालें। रस को तुरंत पीना चाहिए, क्योंकि इसके पोषक तत्व जल्दी नष्ट हो जाते हैं।
ज्वारे के रस का सेवन
ज्वारे का रस दूध, दही और मांस से अधिक गुणकारी है। यह सस्ता और आसानी से घर पर उगाया जा सकता है। नवजात शिशु से लेकर बड़े सभी इसे सेवन कर सकते हैं। ज्वारे के रस में सभी आवश्यक विटामिन और खनिज होते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद हैं।
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