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वीज़ा फीस बढ़ने से IT Sector पर दबाव बढ़ा, लेकिन आईटी कंपनियों के पास अब भी है यह मौका

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शेयर मार्केट में लिस्टेड आईटी कंपनियों के शेयरों में सोमवार को गिरावट देखने को मिली क्योंकि यूएस में H1B वीजा फीस में बढ़ोतरी के बाद आईटी सेक्टर बिकवाली के दबाव में आ गया. वीज़ा फीस पर अमेरिका का नया नियम आईटी सेक्टर को भारी पड़ रहा है. अमेरिका का 1 लाख डॉलर एच-1बी वीजा फीस भारतीय आईटी कंपनियों के लिए ऐसा झटका है, जिसके दबाव में उनके शेयर प्राइस के साथ साथ आईटी प्रोजेक्ट भी हैं.



निफ़्टी के आईटी इंडेक्स में सोमवार को 3% की गिरावट हुई. निफ्टी 50 इंडेक्स की लार्जकैप आईटी कंपनियों में टीसीएस के शेयर 3% इंफोसिस के शेयर 2.50%,विप्रो के शेयर 2% और एचसीएल 1.75% की गिरावट में आए. सबसे अधिक गिरावट में आने वाले आईटी स्टॉक एलटीआई माइंड ट्री, पर्सिस्टेंस, एमफेसिस और कोफोर्ज रहे, जिनमें 4.50% की गिरावट आई.



आईटी में आगे क्या संभावना हैयूएस फेड रेट कट में 25 बेसिस पॉइंट की मिली राहत के बाद आईटी सेक्टर में कुछ सकारात्मक होता दिखाई दे रहा है. हालांकि वीज़ा फीस में इतनी अधिक बढ़ोतरी से आईटी कंपनी चिंतित हैं, लेकिन यह समस्या आने वाले दिनों में हल हो सकती है, हालांकि इसकी संभावना कम ही है. अगर आईटी सेक्टर को रेट कट का फायदा उठाना है तो वीज़ा फीस में बढ़ोतरी की समस्या को सुलझाना होगा.



अमेरिका ने H1B वीजा के लिए नए आवेदनों पर $100,000 की एकमुश्त फीस लगाई गई है. यह फीस पहले से मौजूद $1,500 के एडमिन चार्जेस पर अतिरिक्त है. यह बदलाव 21 सितंबर 2025 से प्रभावी हो गया है और मुख्य रूप से उन विदेशी कार्यकर्ताओं पर लागू होता है जो अमेरिका के बाहर से नए आवेदन कर रहे हैं.



मौजूदा H1B वीजा धारकों या उनके नवीनीकरण पर यह फीस लागू नहीं होगी. व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया है कि इस नीति का उद्देश्य H1B कार्यक्रम के "दुरुपयोग" को रोकना और अमेरिकी श्रमिकों के लिए अधिक नौकरियां सुनिश्चित करना है, लेकिन यह टेक और आईटी सेक्टर के लिए बड़ा झटका है.



आईटी कंपनियां यूएस वीज़ा पर निर्भरभारतीय आईटी कंपनियां, जो H1B वीजा पर सबसे अधिक निर्भर हैं. इसे ऐसे समझें कि 2025 में भारत को 71% H1B वीजा मिले. NASSCOM (भारतीय सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री एसोसिएशन) ने इसे अमेरिकी इनोवेशन इकोसिस्टम पर नकारात्मक प्रभाव बताया है. हालांकि इस पॉलिसी का असर FY27 (अप्रैल 2026) से दिखेगा, क्योंकि वर्तमान कोटा भरा हुआ है. तब तक आईटी कंपनियों के पास इस मुद्दे को हल करने का मौका है.



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