प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को मणिपुर पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि मणिपुर में किसी भी तरह की हिंसा दुर्भाग्यपूर्ण है.
उन्होंने कहा, ''यह हिंसा हमारे पूर्वजों और हमारी आने वाली पीढ़ियों के साथ बहुत बड़ा अन्याय है. इसलिए हमें मिलकर मणिपुर को शांति और विकास के मार्ग पर आगे बढ़ाना होगा.''
इस दौरान उन्होंने चुराचांदपुर में 7000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन किया. ये वही ज़िला है जो हिंसा से सबसे अधिक प्रभावित रहा, जहां 250 से अधिक लोगों की जान गई और हज़ारों लोग विस्थापित हुए.
मई 2023 में जातीय हिंसा भड़कने के बाद यह प्रधानमंत्री मोदी की पहली मणिपुर यात्रा है. विपक्ष लगातार इस बात पर सवाल उठाता रहा है कि इतने लंबे समय तक प्रधानमंत्री मणिपुर क्यों नहीं गए.
पिछले 28 महीनों से राज्य उथल-पुथल और राजनीतिक गतिरोध से गुज़र रहा है. ऐसे में जानते हैं कि 2023 से अब तक मणिपुर में क्या-क्या हुआ?
मई 2023: मणिपुर में हिंसा भड़की27 मार्च 2023 को मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने पर जल्दी विचार करने के लिए कहा था.
इसके कुछ ही दिन बाद, 3 मई 2023 को कुकी और मैतेई समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़क गई.
इस हिंसा में कई लोगों की जान गई. ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर की तरफ़ से आयोजित रैली हिंसक हो गई और हालात बिगड़ने पर प्रशासन ने "शूट ऐट साइट" का आदेश जारी कर दिया.
राज्य के अधिकतर जिलों में कर्फ़्यू लगा, सेना और असम राइफ़ल्स को उतारना पड़ा. इस संघर्ष की जड़ मैतेई को एसटी दर्जा देने की मांग थी, जिसका विरोध कुकी समुदाय कर रहा था.
फ़रवरी 2024 में हाई कोर्ट ने अपने आदेश से मैतेई के लिए एसटी दर्जा देने का अंश हटा दिया.
हिंसा में सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान हुआ और हज़ारों लोग बेघर हो गए.
आज भी बहुत से लोग राहत शिविरों में या मिज़ोरम जैसे पड़ोसी राज्यों में शरण लिए हुए हैं. सरकार के अनुसार इस संघर्ष में 250 से ज़्यादा मौतें हो चुकी हैं.
मई 2023: अमित शाह का दौरा और बीरेन सिंह का दावा
हिंसा के कुछ ही हफ़्तों बाद, मई के अंत में गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर पहुंचे.
मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने दावा किया कि हालात नियंत्रण में हैं और लगभग 20 हज़ार लोगों को सुरक्षित शिविरों में ले जाया गया है.
शाह ने विभिन्न समुदायों और राजनीतिक दलों से बातचीत की और कहा कि "शांति बहाल करना सरकार की सबसे पहली प्राथमिकता है."
उन्होंने अधिकारियों को हिंसा फैलाने वालों पर सख़्ती से कार्रवाई करने के निर्देश दिए.

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19 जुलाई 2023 को एक वीडियो ने पूरे देश को झकझोर दिया. इसमें कुकी समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराते और उन्हें प्रताड़ित करते दिखाया गया.
पुलिस ने पुष्टि की कि यह घटना 4 मई को थोबल ज़िले में हुई थी.
प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार मणिपुर की घटनाओं पर सार्वजनिक बयान देते हुए कहा कि उनका "हृदय पीड़ा से भरा हुआ है" और "दोषियों को बख़्शा नहीं जाएगा."
इस घटना के बाद राज्य सरकार की चौतरफ़ा आलोचना हुई और क़ानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठे.
इसी दौरान, पूर्व सेना प्रमुख जनरल एम. एम. नरवणे ने भी चिंता जताई.
उन्होंने कहा, "मणिपुर में जो हो रहा है उसमें विदेशी एजेंसियों की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता. सीमावर्ती राज्यों में अस्थिरता देश की समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अच्छा नहीं है."
जनवरी 2024: फिर हिंसा, राहुल गांधी की यात्राजनवरी 2024 में 48 घंटे में अलग-अलग जगह पर हुई हिंसक घटनाओं में पाँच नागरिक और दो सुरक्षाकर्मी मारे गए थे.
इसी दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' की शुरुआत मणिपुर से की.
इम्फाल के पास थौबल में रैली के दौरान उन्होंने कहा, "मणिपुर जिस दर्द से गुज़रा है, हम उस दर्द को समझते हैं."
उन्होंने कहा, "हम वादा करते हैं कि उस शांति, प्यार, एकता को वापस लाएंगे, जिसके लिए ये राज्य हमेशा जाना जाता है."
अप्रैल 2024: पीएम मोदी ने की मणिपुर की बातलोकसभा चुनाव 2024 के एलान के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर मणिपुर के मुद्दे पर बात की.
पीएम मोदी ने कहा है कि केंद्र सरकार के समय रहते दख़ल देने और राज्य सरकार की कोशिशों के कारण मणिपुर के हालात में सुधार आया.
प्रधानमंत्री मोदी ने "द असम ट्रिब्यून" को उस वक़्त इंटरव्यू भी दिया था.

इस इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "हमारा मानना है कि हालात से संवेदनशीलता के साथ निपटना सबकी सामूहिक ज़िम्मेदारी है. हमने अपने सबसे अच्छे संसाधनों और प्रशासन को इस संघर्ष को सुलझाने में लगाया हुआ है."
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अप्रैल 2024 में ब्रिटेन की संसद में भी 'मणिपुर और भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की मौजूदा स्थिति' का मुद्दा उठाया गया.
विंचेस्टर के लॉर्ड बिशप के एक सवाल के जवाब में ब्रिटेन के उस वक़्त के विदेश मंत्री डेविड कैमरन ने हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत अपने संविधान के ज़रिये धार्मिक स्वतंत्रता और विश्वास के लिए प्रतिबद्ध है.
विदेश मंत्रालय और राष्ट्रमंडल देशों से संबंधित विभाग की ज़िम्मेदारी संभाल रहे डेविड कैमरन ने कहा, "इस संबंध में कोई ख़ास मुद्दा या चिंता पैदा होती है तो ब्रिटेन की सरकार निस्संदेह भारत सरकार के सामने ये मुद्दे उठाती है."
सितंबर 2024: ड्रोन से हमला और झड़पें1 सितंबर 2024 को इम्फाल ज़िले में फिर हिंसा भड़क गई. एक महिला समेत दो लोग मारे गए और नौ घायल हुए.
पुलिस का दावा था कि हमलावरों ने ड्रोन से हमला किया.
राज्य में इससे पहले के चार महीने से हिंसा की केवल छिटपुट घटनाएं हो रही थीं.
इस घटना के एक हफ़्ते बाद जिरीबाम ज़िले में झड़प हुई जिसमें चार संदिग्ध कुकी उग्रवादी और एक नागरिक मारे गए. यह हिंसा मैतेई समुदाय के एक बुज़ुर्ग की हत्या के बाद भड़की थी.
नवंबर 2024: एनपीपी ने समर्थन वापस लिया
नवंबर 2024 में हालात और बिगड़ गए. 11 नवंबर को सुरक्षाबलों और हथियारबंद संदिग्धों के बीच हुई मुठभेड़ में 10 लोग मारे गए.
इस घटना के बाद मिज़ोरम में रह रहे मैतेई समुदाय को ज़ो रीयूनिफिकेशन ऑर्गेनाइज़ेशन (ज़ोरो) नामक संगठन से धमकी मिली, जिससे वहाँ का माहौल भी तनावपूर्ण हो गया.
ज़ोरो ने आरोप लगाया कि तटस्थ बल माने जाने वाले सीआरपीएफ़ जवानों ने 11 नवंबर को 10 आदिवासी युवाओं की गोली मारकर हत्या कर दी, जिससे मणिपुर में जातीय संघर्ष और तेज़ हो गया.
इसी बीच नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) ने राज्य में बीजेपी नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया.
एनपीपी के प्रमुख और मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा हैं. पार्टी ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखे पत्र में कहा, "श्री बीरेन सिंह के नेतृत्व में मणिपुर सरकार संकट को हल करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में विफल रही है. मौजूदा हालात को देखते हुए एनपीपी ने सरकार से समर्थन वापस लेने का फ़ैसला किया है."
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केंद्र ने दिसंबर 2024 में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रहे अजय कुमार भल्ला को मणिपुर का नया राज्यपाल नियुक्त किया.
इससे पहले असम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य कार्यवाहक राज्यपाल थे.
अजय कुमार भल्ला 1984 बैच के असम-मेघालय कैडर के आईएएस अधिकारी रहे हैं.
केंद्र में काम करने से पहले अजय भल्ला साल 2002 तक असम और मेघालय राज्यों में अलग-अलग पदों पर काम कर चुके हैं.
जनवरी 2025: कांगपोकपी में एसपी कार्यालय पर हमला
मणिपुर के कांगपोकपी ज़िले में 3 जनवरी की शाम भीड़ ने एसपी कार्यालय पर हमला कर दिया. इस हमले में एसपी मनोज प्रभाकर समेत कई लोग घायल हो गए.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ यह हमला इम्फाल ईस्ट ज़िले की सीमा से लगे साईबोल गांव में तैनात केंद्रीय सुरक्षा बलों को न हटाने को लेकर हुआ. स्थानीय लोग सुरक्षा बलों से नाराज़ थे.
साईबोल गांव में 31 दिसंबर को सुरक्षा बलों और महिलाओं के बीच झड़प हुई थी, जिसमें लाठीचार्ज का आरोप लगा. इसके बाद कुकी संगठनों ने लगातार विरोध प्रदर्शन किया.
अगले दिन यहाँ बड़ा प्रदर्शन हुआ और बड़ी संख्या में लोग कांगपोकपी में एसपी कार्यालय के बाहर जमा हो गए. उनकी मुख्य मांग थी कि साईबोल से केंद्रीय सुरक्षा बलों को हटाया जाए.
9 फ़रवरी 2025: मुख्यमंत्री का इस्तीफ़ा
लगभग 21 महीने चले जातीय संघर्ष के बीच मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने 9 फ़रवरी 2025 को इस्तीफ़ा दे दिया.
विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने से पहले ही उन्होंने पद छोड़ दिया.
इस्तीफ़े से पहले वह लगातार कहते रहे थे कि "क़ानून-व्यवस्था में सुधार हो रहा है और सरकार शांति बहाल करने की कोशिश कर रही है."
13 फ़रवरी 2025: राष्ट्रपति शासन
बीरेन सिंह के इस्तीफ़े के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया. नए मुख्यमंत्री पर सहमति न बनने के कारण यह क़दम उठाया गया.
विधानसभा का सत्र छह महीने से ज़्यादा समय तक न बुलाने का संवैधानिक कारण भी इसके पीछे था.
मणिपुर में विधानसभा का अंतिम सत्र 12 अगस्त 2024 को पूरा हुआ था और अगला सत्र छह महीने के अंदर बुलाया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका.
संविधान के अनुच्छेद 174(1) के मुताबिक विधानसभा के दो सत्रों के बीच छह महीने से ज़्यादा का अंतर नहीं हो सकता है.
5 अगस्त 2025: राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ी5 अगस्त 2025 को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में प्रस्ताव रखा कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की अवधि छह महीने और बढ़ाई जाए.
इस पर हंगामे के बावजूद सदन ने प्रस्ताव पास कर दिया.
यह प्रस्ताव 13 फ़रवरी 2025 को अनुच्छेद 356 के तहत लागू राष्ट्रपति शासन से जुड़ा था.
अब इसे 13 अगस्त 2025 से अगले छह महीनों के लिए बढ़ा दिया गया है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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