ग़ज़ा में एक मदद केंद्र के पास 'इसराइली गोलीबारी' में कम से कम 27 फ़लस्तीनी मारे गए हैं. यह जानकारी ग़ज़ा में मौजूद स्थानीय अधिकारियों ने दी है.
ग़ज़ा में हमास संचालित नागरिक सुरक्षा एजेंसी के प्रवक्ता महमूद बसल ने बताया कि मदद वितरण केंद्र से लगभग एक किलोमीटर दूर नागरिकों पर टैंकों, क्वाडकॉप्टर ड्रोनों और हेलीकॉप्टरों से गोलीबारी की गई.
इसराइल डिफ़ेंस फ़ोर्स (आईडीएफ़) ने कहा कि उनके सैनिकों ने उन संदिग्धों की पहचान करने के बाद गोलियां चलाईं जो "तय रास्तों से हटकर" उनकी ओर बढ़ रहे थे.
इससे पहले रविवार को इसी तरह की घटना हुई थी. उस घटना में भी इसराइल ने फ़लस्तीनियों पर गोली चलाने के आरोप से इनकार किया था.
हमास संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि इस घटना में 31 लोग मारे गए थे और लगभग 200 लोग घायल हुए थे.
इसराइल का यह खंडन गवाह के तौर पर दर्जनों नागरिक, कई एनजीओ और स्वास्थ्य अधिकारियों के हवाले से कही गई बातों के सीधे विरोधाभास में था.
बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए करें

अतेफ़ अल-हौत ग़ज़ा के ख़ान यूनिस में मौजूद नासेर अस्पताल के निदेशक हैं. मंगलवार की घटना के बारे में उन्होंने कहा, "इसराइली सेना ने पश्चिमी रफ़ाह में मदद का इंतज़ार कर रहे नागरिकों की भीड़ पर गोलीबारी की थी."
ग़ज़ा के इस क्षेत्र में कार्यरत एक विदेशी चिकित्सक ने बीबीसी को बताया कि स्थानीय समयानुसार तीन बजकर 48 मिनट के बाद से वहां "पूरी तरह से नरसंहार" हो रहा था और वे हताहतों की संख्या से घबराए हुए थे.
एक बयान में इसराइल डिफ़ेंस फ़ोर्स (आईडीएफ़) ने कहा कि उसके सैनिक "मानवीय सहायता वितरण केंद्रों पर ग़ज़ा के नागरिकों को आने से नहीं रोक रहे हैं."
इसमें कहा गया है, "मानवीय सहायता वितरण केंद्र से लगभग आधा किलोमीटर दूर कई संदिग्धों पर चेतावनी के तौर पर गोलियां चलाई गईं, जो सैनिकों की ओर इस तरह बढ़ रहे थे कि वे उनके लिए ख़तरा बन गए थे."
इसराइल बीबीसी सहित अंतर्राष्ट्रीय समाचार संगठनों को ग़ज़ा में प्रवेश की अनुमति नहीं देता है. इससे वहां क्या हो रहा है, इसकी पुष्टि करना कठिन हो जाता है.
मदद वितरण का कार्य हाल ही में ग़ज़ा ह्यूमैनिटेरियन फ़ाउंडेशन (जीएचएफ़) ने अपने हाथों में ले लिया है. यह एक इसराइल और अमेरिका समर्थित समूह है, जिसका उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और अन्य संगठनों की जगह लेना है.
जीएचएफ़ की कार्यप्रणाली के तहत नागरिकों को इसराइली सैन्य नियंत्रण वाले क्षेत्रों में मौजूद मदद वितरण केंद्रों पर जाना पड़ता है और वहां अमेरिकी सशस्त्र निजी सुरक्षाबलों की तैनाती होती है.
फ़लस्तीनियों को मदद पाने के लिए लंबी दूरी तक पैदल चलने के लिए मज़बूर होना पड़ता है और मदद मिलने के बाद उन्हें 20 किलोग्राम तक वजन वाले बक्से ढोने पड़ते हैं.
पिछली बार संयुक्त राष्ट्र ने ग़ज़ा में 400 जगहों पर लोगों को सीधे सहायता पहुंचाई थी. इसने आबादी की रजिस्ट्री के आधार पर मदद बांटी, जिससे सभी को खाने की गारंटी मिली.
मदद का नया सिस्टम 'पहले आओ, पहले पाओ' के आधार पर काम करता हुआ दिखाई पड़ता है.
इस कारण फ़लस्तीनी रात भर लाइन में आगे रहने की होड़ में एक सुरक्षित जगह पर इकट्ठे होते हैं. जब मदद केंद्र कुछ घंटों बाद खुलता है तो मदद जमा करने की होड़ लग जाती है.
संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय समुदायों ने जीएचएफ़ की सहायता को "हथियार" बनाने और मानवीय सिद्धांतों के ख़िलाफ़ जाने के लिए कड़ी आलोचना की है.
मंगलवार की घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए जीएचएफ़ ने कहा: "हालांकि, आज हमारे केंद्र पर मदद सुरक्षित रूप से और बिना किसी घटना के दी गई, लेकिन हम समझते हैं कि आईडीएफ़ इस बात की जांच कर रहा है कि तय सुरक्षित रास्ते से आगे बढ़कर सैन्य क्षेत्र में जाने के बाद क्या कई नागरिक घायल हुए हैं."
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने कहा: "लगातार तीसरे दिन मदद वितरण केंद्र के आसपास लोगों की हत्या की गई."
उन्होंने एक बयान में कहा, "फ़लस्तीनियों के सामने सबसे कठिन विकल्प रखे गए हैं: या तो भूख से मर जाएं या फिर इस तरह खाने का छोटा पैकेट हासिल करने के प्रयास में मारे जाने का जोख़िम उठाएं."
रविवार की घटना के दौरान, इंटरनेशनल कमिटी ऑफ़ रेड क्रॉस (आईसीआरसी) ने कहा कि रफ़ाह स्थित उसके अस्पताल में "बड़ी संख्या में लोग आ गए" और 21 लोगों को "पहुंचते ही मृत घोषित कर दिया गया."
आईडीएफ़ ने कहा कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि उसके बलों ने सहायता केंद्र के पास या उसके भीतर मौजूद लोगों पर गोली नहीं चलाई थी.
जीएचएफ़ ने अपने केंद्र पर किसी के घायल होने या हताहत होने के दावों का भी खंडन किया और कहा कि ये दावे हमास ने फैलाए हैं.
रविवार की घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने एक बयान में कहा: "मैं कल ग़ज़ा में मदद मांगते समय मारे गए और घायल हुए फ़लस्तीनियों की घटना से स्तब्ध हूं. मैं इन घटनाओं की तत्काल एवं स्वतंत्र जांच और अपराधियों को जवाबदेह ठहराने की मांग करता हूं."
इसराइल ने सात अक्तूबर, 2023 को हमास के सीमा पार हमले के जवाब में ग़ज़ा में सैन्य अभियान शुरू किया था, जिसमें लगभग 1,200 लोग मारे गए और 251 लोगों को बंधक बना लिया गया.
ग़ज़ा में स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, तब से लेकर अब तक ग़ज़ा में कम से कम 54 हज़ार 470 लोग मारे जा चुके हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
You may also like
डीजीपी अनुराग गुप्ता की पत्नी के सर्टिफिकेट को फर्जी बताने वाली पीआईएल खारिज
पीयूष गोयल ने मिलान में इतालवी व्यापार जगत के नेताओं से मुलाकात की
भैंसवामाता मंदिर में दानपेटी से लाखों की चोरी, जांच में जुटी पुलिस
Vastu Tips: पर्स में भूलकर भी नहीं रखें ये चीजें, झेलनी पड़ सकती हैं कई परेशानियां
Jokes: संता एक बार अपने ऑटो से एक पहिया निकालने में जुटा हुआ था, तभी बंता वहां आ जाता है और संता से पूछता है- अरे संता, ये ऑटो का टायर क्यों निकाल रहे हो? पढ़ें आगे..