ज़ोहरान ममदानी, 4 नवंबर, 2025 को न्यूयॉर्क सिटी के मेयर का चुनाव जीत गए.
नतीज़ों के बाद से उनकी काफी चर्चा हो रही है.
ममदानी, 1892 के बाद बने इस शहर के सबसे युवा मेयर हैं.
वो न्यूयॉर्क सिटी के पहले मुस्लिम मेयर भी होंगे.
इसलिए ममदानी के साथ-साथ न्यूयॉर्क की भी काफ़ी चर्चा हो रही है.
लेकिन ममदानी के इतर न्यूयॉर्क शहर भी अपने आप में एक अनोखा कैरेक्टर है. आइए शहर के बारे में कुछ ख़ास बातें जानते हैं.
न्यूयॉर्क सिटी कैसे बनी आज की न्यूयॉर्क
Getty Images न्यूयॉर्क शहर फाइनेंस से लेकर आर्ट, कल्चर, फैशन, एंटरटेनमेंट की दुनिया का ग्लोबल हब बन चुका है. आज से 400 साल पहले, 1625 में ट्रेड के मकसद से डच लोगों ने इसकी नींव रखी थी. तब इसका नाम 'न्यू एम्सटर्डम' था.
फिर, 1664 में अंग्रेज़ों ने यहां कब्जा कर लिया और ड्यूक ऑफ यॉर्क के नाम पर इसका नाम बदलकर 'न्यूयॉर्क' कर दिया गया.
ये शहर आज फ़ाइनेंस, आर्ट, कल्चर, फैशन, एंटरटेनमेंट की दुनिया का ग्लोबल हब बन चुका है.
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अमेरिका के 'न्यूयॉर्क स्टेट' में 62 काउंटीज़ आती हैं. उनमें सबसे ज्यादा आबादी वाली काउंटी न्यूयॉर्क है. स्टेट ही नहीं बल्कि पूरे संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में सबसे ज्यादा आबादी इसी शहर में रहती है.
वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू के हिसाब से न्यूयॉर्क स्टेट की आबादी करीब 2 करोड़ है. इसमें से 84 लाख से ज्यादा लोग अकेले न्यूयॉर्क सिटी में रहते हैं.
लेकिन दिलचस्प बात ये है कि इतनी बड़ी आबादी होने के बाद भी कोई एक समुदाय यहां बहुलता में नहीं है. न्यूयॉर्क शहर को यहां आकर बसने वाले लोगों ने 'न्यूयॉर्क' बनाया है.
प्रवासियों का शहर कैसे बना न्यूयॉर्ककरीब 3000 साल पहले सबसे पहले लेनेप लोगों ने इसे अपना घर बनाया. ये डेलावेर के ही स्थानीय लोग थे. फिर 1625 में डच और यूरोपीय लोग यहां आकर बसे.
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान शुरू हुए 'द ग्रेट माइग्रेशन'में हजारों अफ्रीकी-अमेरिकी दक्षिण से उत्तर की तरफ आकर बस गए.
फिर, 1990 के दशक में दुनिया भर के करीब 12 लाख अप्रवासी न्यूयॉर्क आ बसे.
इस तरह विभिन्न समुदाय के लोगों ने मिलकर न्यूयॉर्क को बनाया, शहर 'न्यूयॉर्क'. इन विविध समुदायों की मौजूदगी की वजह से ही इसे प्रवासियों का शहर भी कहा जाता है.
ममदानी ने भी जीत के बाद अपने भाषण में कहा है, "न्यूयॉर्क हमेशा प्रवासियों का शहर रहेगा, इस शहर को प्रवासियों ने बनाया है और प्रवासी लोग ही इसे चलाते हैं."
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इस शहर की अपनी एक तासीर है. कहा जाता है, ये शहर हर किसी को अपनाता है. कोई भी इंसान यहां आकर अपनी जिंदगी, शुरू से शुरू कर सकता है. अपनी पहचान बना सकता है.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, हर दिन करीब दस लाख वर्कर न्यूयॉर्क सिटी में कदम रखते हैं.
इस शहर ने पुराने कई सांचों को तोड़कर, बदलावों को तेजी से अपनाकर खुद की एक नई पहचान बनाई है. और यही इसकी ख़ासियत है.
कई ऐतिहासिक जगहेंयूनाइटेड नेशंस के हेडक्वार्टर्स से लेकर, दुनिया का फाइनेंशियल कैपिटल कहा जाने वाले वॉल स्ट्रीट भी इसी शहर में ही है.
अमेरिका का स्टॉक एक्सचेंज न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज और नैस्डैक भी यहीं मौजूद है.
दुनिया की चौथी सबसे बड़ी मूर्ति स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी से लेकर 86 मंजिला एंपायर स्टेट बिल्डिंग, टाइम्स स्क्वैयर, सेंट्रल पार्क, ब्रॉडवे शो का पता भी यही शहर है, जिसे देखने दुनिया भर से लोग आते हैं.
वो साल जिसने न्यूयॉर्क को झकझोर दिया
Getty Images 11 सितंबर 2001 को न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकी हमला हुआ था मगर, 2001 का साल, उस काले पन्ने की तरह है, जिसने इस शहर को झकझोर कर रख दिया.
दरअसल, न्यूयॉर्क सिटी में 16 एकड़ में मौजूद वर्ल्ड ट्रेड सेंटर इसकी शान हुआ करता था. इसके अंदर बना ट्विन टावर, शहर की सबसे बड़ी इमारत थी.
मगर 11 सितंबर, 2001 को आतंकी हमलों में ये दोनों टावर ज़मींदोज़ हो गए. जिसमें हज़ारों लोगों की जान चली गई थी.
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लेकिन, इस शहर ने खुद को फिर से खड़ा किया. 2024 में 'स्टेट ऑफ द न्यूयॉर्क सिटी इकॉनमी' नाम से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका की पूरी इकॉनमी में न्यूयॉर्क की 9 फीसदी हिस्सेदारी है.
चकाचौंध तो है, मगर चुनौतियां भी कम नहींउपलब्धियों के अलावा, इस शहर की अपनी चुनौतियां भी हैं. नस्लीय भेदभाव, अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई की समस्या बनी हुई है.
इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि न्यूयॉर्क सिटी में बीते एक दशक में आय में असमानता बढ़ी है.
बेरोजगारी और श्रम बल भागीदारी में नस्लीय असमानताएं कम तो हुई हैं, मगर ये अभी भी काफ़ी ऊंचे स्तर पर बनी हुई हैं.
ममदानी भी आय में असमानता को खत्म करने के वादे से आए हैं. अब देखना होगा कि वो इन चुनौतियों से कैसे निपटते हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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