राजस्थान के बारां जिले में एक गंभीर समस्या खड़ी हो गई है। यहां मेडिकल कॉलेज के 30 सेवारत डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया है। यहां के जिला अस्पताल में राजमेस और सेवारत डॉक्टरों के बीच चल रहा विवाद अब गंभीर मोड़ पर पहुंच गया है। मेडिकल कॉलेज में नियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टरों ने अनुभव प्रमाण पत्र जारी न होने समेत कई समस्याओं को लेकर सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया है। बताया जा रहा है कि गुरुवार (11 सितंबर) को बारां मेडिकल कॉलेज में नियुक्त सभी 30 डॉक्टरों ने प्राचार्य को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
मान्यता पाने के लिए काम कर रहे थे डॉक्टर
सेवारत डॉक्टर्स एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष ने बताया कि मेडिकल कॉलेज को मान्यता दिलाने के लिए जिला अस्पताल से डॉक्टरों को नियुक्त किया गया था और वे वहीं काम कर रहे थे। लेकिन लंबे समय से उन्हें अनुभव प्रमाण पत्र भी नहीं दिए जा रहे हैं। केवल औपचारिकता के तौर पर पदनाम दिया जा रहा है, जबकि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने एक गाइडलाइन जारी की है कि डॉक्टरों को नियमानुसार प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के स्थायी पदों पर नियुक्त किया जाना चाहिए।
डॉक्टरों ने लगाए गंभीर आरोप
डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि राजमेस के माध्यम से हाल ही में नियुक्त डॉक्टरों को, जिनके पास क्लीनिकल अनुभव भी नहीं है, विभागाध्यक्ष (एचओडी) बना दिया गया है। दूसरी ओर, राजमेस प्रोफेसर व अन्य पदों पर कार्यरत चिकित्सक जिला अस्पताल में ड्यूटी भी नहीं कर रहे हैं। ऐसे में मेडिकल कॉलेज होने के बावजूद बारां जिले के मरीजों को अपेक्षित सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। सेवारत चिकित्सकों के सामूहिक इस्तीफे से मेडिकल कॉलेज की मान्यता खतरे में पड़ सकती है। आगामी दिनों में नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने वाला है, ऐसे में कॉलेज प्रबंधन व स्वास्थ्य विभाग के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। यदि जल्द ही स्थिति का समाधान नहीं किया गया तो चिकित्सा शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं पर गहरा असर पड़ सकता है।
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